प्रयागराज: महाकुंभ 2025 में सनातन धर्म के वैभव को दर्शाते हुए सामाजिक समरसता का अद्भुत संदेश दिया जाएगा. संगम क्षेत्र में वंचित समाज से आने वाले सन्यासियों को महामंडलेश्वर जैसे सम्मानित पदों से सुशोभित किया जाएगा. इसको लेकर जूना अखाड़ा ने तैयारियां तेज कर दी हैं. जूना अखाड़ा महाकुंभ के दौरान अनुसूचित जाति, जनजाति और आदिवासी समाज से आने वाले 71 संन्यासियों को महामंडलेश्वर की उपाधि देगा.
यह निर्णय अनुसूचित जाति के पहले जगदगुरू स्वामी महेन्द्रानन्द गिरि के निर्देशन में चलाया जा अभियान के तहत लिया गया है. जिन 71 लोगों को महामण्डलेश्वर की उपाधि दी जाएगी, उन्होंने पिछले तीन वर्षों में जूना अखाड़े से जुड़कर संन्यास लिया था. अब उनकी सनातन धर्म और अखाड़े के प्रति निष्ठा को देखते हुए महामण्डलेश्वर बनाया जाएगा. जिसके बाद उन्हें मठ-मंदिरों के संचालन की जिम्मेदारी भी सौंपी जाएगी.
जिससे वे सामाजिक और धार्मिक दृष्टिकोण से नई पीढ़ी को जोड़ सकेंगे.
जूना अखाड़ा पिछले कुछ सालों से आदिवासी और वंचित समाज के कार्य करने की गति को बढ़ा दिया है. क्योंकि इन लोगों के बीच ईसाई मिशनरी सक्रिय हैं. जिसके चलते बड़े पैमाने पर मतांतरण हो रहा है. इस प्रकार की घटनाएं सबसे अधिक मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखंड, ओडिशा, केरल, महाराष्ट्र और गुजरात जैसे राज्यों से सामने आ रही है. इस समस्या को सुलझाने के लिए जूना अखाड़ा लगातार इन समुदायों के बीच काम कर रहा है, साथ ही वंचित समाज के बड़ी संख्या में लोगों ने जूना अखाड़ा से जुड़ संन्यास भी लिया है. जिन्हें अब महामण्डलेश्वर बनाया जाएगा.
5620 वंचित समाज के लोगों ने लिया संन्यास
जूना अखाड़े ने पिछले 10 वर्षों में लगभग 5,620 वंचित समाज के लोगों को संन्यास दिलवाया है. वर्ष 2018 में, जूना अखाड़ा ने अनुसूचित जाति के कन्हैया प्रभुनन्द गिरि को महामण्डलेश्वर की उपाधि दी थी. इसी क्रम में, अप्रैल 2024 में प्रयागराज स्थित मौजगिरि मंदिर में महेन्द्रानन्द गिरि को जगदगुरू और कैलाशानन्द गिरि को महामण्डलेश्वर बनाया गया था. अब, महाकुंभ 2025 में इस परंपरा को और बढ़ाते हुए मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखंड, ओडिशा, केरल, महाराष्ट्र और गुजरात से वंचित समाज के 71 लोगों को महामण्डलेश्वर की उपाधि दी जाएगी.
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जूना अखाड़ा के संरक्षक महंत हरि गिरि ने कहा कि सनातन धर्म में मतांतरण एक बड़ी समस्या है. जिसका मुख्य कारण धार्मिक और सामाजिक उपेक्षा है. हम इस समस्या को समाप्त करने के लिए वंचित समाज के बीच काम कर रहे हैं. इसके परिणामस्वरूप लोग संन्यास ले रहे हैं. उन में से जो योग्य और समर्पित हैं, उन्हें महाकुंभ में महामण्डलेश्वर की उपाधि दी जाएगी.