रामपुर: पूर्व कैबिनेट मंत्री और सपा नेता आजम खान की मोहम्मद अली जौहर यूनिवर्सिटी पर प्रशासन का एक्शन लगातार जारी है. आज सोमवार (9 दिसंबर) को प्रशासनिक टीम ने यूनिवर्सिटी में बड़ी कार्रवाई करते हुए शत्रु संपत्ति की जियो टैगिंग की. अधिकारियों ने यूनिवर्सिटी में स्थित शत्रु संपत्ति की मैपिंग के लिए जियो टैगिंग संयंत्र का प्रयोग किया, जो सेटेलाइट के माध्यम से जुड़कर संपत्ति का सीमांकन और डिजिटल रिकॉर्डिंग करता है.
इस कार्रवाई के दौरान नायब तहसीलदार और अन्य विभागीय अधिकारी मौके पर मौजूद रहे. जियो टैगिंग की प्रक्रिया में सेटेलाइट से कनेक्ट होकर संपत्ति का डिजिटल मैप तैयार किया गया, जिससे शत्रु संपत्ति का स्पष्ट रिकॉर्ड बना. यह प्रक्रिया प्रशासन को संपत्ति के कब्जे और निगरानी में मदद करेगी.
जौहर यूनिवर्सिटी में कुल 13.08 हेक्टेयर की शत्रु संपत्ति शामिल है, जिसका प्रशासन पहले ही सीमांकन कर चुका है. अब कब्जा लेने की प्रक्रिया शुरू कर दी है. सोमवार को हुई इस कार्रवाई में शत्रु संपत्ति की पूरी मैपिंग की गई.
क्या है शत्रु संपत्ति?
शत्रु संपत्ति अधिनियम के तहत, पाकिस्तान में नागरिकता लेने वाले भारतीयों और उनके पूर्वजों द्वारा छोड़ी गई संपत्तियां शत्रु संपत्ति मानी जाती हैं. यह संपत्ति भारत सरकार द्वारा कब्जे में ली जाती है. 1947 के विभाजन के समय पाकिस्तान गए लोग और 1965 और 1971 की भारत-पाकिस्तान युद्धों के बाद पाकिस्तान में बसने वाले लोग इस श्रेणी में आते हैं.
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जौहर यूनिवर्सिटी का इतिहास
रामपुर स्थित मोहम्मद अली जौहर यूनिवर्सिटी की स्थापना 2006 में हुई थी. इसे यूनिवर्सिटी ग्रांट्स कमीशन (UGC) द्वारा मान्यता प्राप्त है. 2012 में उत्तर प्रदेश सरकार ने इसे ‘यूनिवर्सिटी’ का दर्जा दिया था. आजम खान इस यूनिवर्सिटी के चांसलर हैं और इसके स्थापना के बाद से ही कई विवाद उठते रहे हैं.