चंडीगढ़: पंजाब के पूर्व उपमुख्यमंत्री और शिरोमणि अकाली दल (SAD) के अध्यक्ष रहे सुखबीर सिंह बादल को धार्मिक और सामाजिक अनुशासनहीनता के मामले में सजा दी गई है. उनकी सजा आज मंगलवार ( 3 दिसंबर) से प्रारंभ हो रही है. उन्हें गुरुद्वारे में सेवा करनी होगी, जिसमें बर्तन धोने, सफाई करने और गुरबाणी (कीर्तन) सुनने जैसे सेवा कार्य शामिल होंगे. इस सजा का उद्देश्य उन्हें अपनी धार्मिक गलतियों को सुधारने के प्रति देखा जा रहा है.
सुखबीर सिंह बादल की यह सजा धार्मिक क्षेत्रों के साथ-साथ राजनीतिक हलकों में चर्चा का विषय बनी हुई है. इस कदम का उद्देश्य सुखबीर बादल को धार्मिक अनुशासन का पालन करने और समाज में सही आचरण को बढ़ावा देने के लिए प्रेरित करना है. बादल को यह सजा सिख समाज की ‘सुप्रीम अदालत’ यानी श्री अकाल तख्त साहिब ने सोमवार को सुनाई. तख्त ने सुखबीर सिंह बादल सहित 17 लोगों को यह सजा सुनाई है, जिसमें आकाली दल की सरकार के समय कैबिनेट मंत्री रहे कई लोग शामिल हैं.
पंजाब के पूर्व उपमुख्यमंत्री सुखबीर सिंह बादल को श्री अकाल तख्त साहिब ने यह सजा शिअद शासनकाल में हुए कुछ विवादास्पद मुद्दों के कारण सुनाई गई है, जिसमें पवित्र पुस्तक गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी और डेरा प्रमुख गुरमीत राम रहीम को माफ करने के मामले शामिल हैं. श्री अकाल तख्त ने इन मामलों की सुनवाई के बाद सुखबीर सिंह बादल समेत अन्य नेताओं को दोषी पाया और उन्हें सजा देने का आदेश दिया.
सुखबीर सिंह बादल पर धार्मिक आरोप
सुखबीर सिंह बादल पर आरोप है कि उन्होंने 2015 में पंजाब में हुए गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी के मामले में दोषियों को सजा दिलाने में कोई प्रभावी कदम नहीं उठाया. इसके साथ ही, उन्होंने डेरा प्रमुख गुरमीत राम रहीम सिंह को माफ करने में भी भूमिका निभाई, जिन्होंने अमृत छकाने के दौरान श्री गुरु गोविंद सिंह जी की वेशभूषा धारण की थी. इस संदर्भ में उनका यह कदम धार्मिक भावनाओं को आहत करने वाला माना गया.
4 घंटे की सुनवाई के बाद सजा का एलान
पंजाब में यह घटनाएं उस वक्त हुईं जब सुखबीर के पिता, प्रकाश सिंह बादल, राज्य के मुख्यमंत्री थे. इन विवादों ने न केवल धार्मिक समुदायों में असंतोष उत्पन्न किया, बल्कि शिअद सरकार की कार्यशैली पर भी सवाल उठाए. श्री अकाल तख्त साहिब ने 2007 से 2017 तक के शिअद शासनकाल की पूरी कैबिनेट, पार्टी की कोर कमेटी और 2015 की शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी की आंतरिक कमेटी को तलब किया था. तख्त श्री ने करीब 4 घंटे तक इन मामलों पर सुनवाई की और अंततः सुखबीर सिंह बादल को तनखैया (धार्मिक कदाचार का दोषी) घोषित कर दिया. इसके बाद, उन्हें गुरुद्वारे में सेवा करने की सजा दी गई, जिसमें बर्तन धोने, सफाई करने और कीर्तन सुनने जैसे धार्मिक कार्य शामिल हैं.
तनखैया घोषित होने के 93 दिन बाद सजा
30 अगस्त 2024 को ही सुखबीर सिंह बादल को तनखैया घोषित किया गया था, जब उन्हें शिअद के शासनकाल की चार प्रमुख ‘गलतियों’ के लिए दोषी पाया गया था. इन चार गलतियों में गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी का मामला और गुरमीत राम रहीम को माफ करने का मामला प्रमुख थे.
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सजा का राजनीतिक दृष्टिकोण
यह कदम राजनीतिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि सुखबीर बादल पंजाब की सिख राजनीति में एक प्रमुख नेता हैं. उनकी पार्टी शिरोमणि अकाली दल (SAD) राज्य की सिख राजनीति में अपनी भूमिका के लिए जानी जाती है. इस सजा से न केवल सुखबीर सिंह बादल को, बल्कि पंजाब के अन्य नेताओं को भी यह संदेश दिया गया है.