शिमला: समोसा कांड के बाद एक और विवादित नोटिस के चलते हिमाचल की सुक्खू सरकार चर्चा में है. दरअसल, अब मामला हिमाचल रोड ट्रांसपोर्ट कॉर्पोरेशन (HRTC) से जुड़ा हुआ है. HRTC ने एक बस ड्राइवर और कंडक्टर को नोटिस जारी किया गया है. आरोप है कि उन्होंने अपनी बस में बैठे एक यात्री को फोन पर चल रही डिबेट देखने से नहीं रोका, जिसमें राहुल गांधी और अन्य विपक्षी नेताओं के खिलाफ टिप्पणी की जा रही थी.
यह घटना 1 नवंबर 2024 को हुई, जब HRTC की बस शिमला से संजौली जा रही थी. बस में एक यात्री अपने फोन पर डिबेट देख रहा था, जिसमें विपक्षी नेताओं के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणियां की जा रही थीं. सैमुयल प्रकाश नाम के व्यक्ति की शिकायत पर मुख्यमंत्री के अवर सचिव ने HRTC के उप मंडलीय प्रबंधक को नोटिस जारी किया और तीन दिन के भीतर स्पष्टीकरण मांगने का आदेश दिया.
नोटिस जारी करने के बाद HRTC के उप-मंडलीय प्रवन्धक ने जानकारी दी है कि पारम्भिक जांच में पाया गया कि 25 नवंबर को जो नोटिस जारी किया गया था, उसे प्रारम्भिक जांच के बाद निरस्त कर दिया गया है. जांच में चालक एवं परिचालक द्वारा दिए गए जवाब में यह पाया गया कि इस प्रकार का वाक्य हमारी बस में नहीं हुआ. साथ ही शिकायतकर्ता ऐसा कोई भी साक्ष्य सलंग्न नहीं कर पाया, ,जिससे बस के चालक और परिचालक के खिलाफ कोई कार्रवाई की जाए.
हालांकि यह मामला सामने आने के बाद बीजेपी ने सुक्खू सरकार पर निशाना साधा है. भाजपा विधायक सुधीर शर्मा ने कहा कि यह कोई व्यवस्था परिवर्तन नहीं, बल्कि हिमाचल प्रदेश की फजीहत करने वाला कदम है. ड्राइवर का काम बस चलाना है और कंडक्टर का काम टिकट काटना. उन्होंने कहा कि यदि यात्री मोबाइल पर डिबेट देख रहा था, तो ड्राइवर और कंडक्टर उसे कैसे रोक सकते थे?
उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि यदि सरकार को इस मुद्दे की इतनी चिंता है, तो बसों में मार्शल नियुक्त किए जाएं, जो यह सुनिश्चित करें कि यात्री के फोन पर क्या चल रहा है. शर्मा ने आगे कहा कि कांग्रेस सरकार की वजह से हिमाचल प्रदेश की स्थिति बेहद दुर्भाग्यपूर्ण हो चुकी है. अब सरकार को लोगों के निजी मामलों में दखल देने का काम शुरू कर दिया है.
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नोटिस में क्या लिखा था?
नोटिस में बताया गया है कि ड्राइवर और कंडक्टर ने अपने कर्तव्यों का पालन नहीं किया और इस घटना को नजरअंदाज किया. अधिकारियों ने तीन दिन के भीतर स्पष्टीकरण मांगा था, ताकि आगे की कार्रवाई की जा सके. हालांकि कोई साक्ष्य न मिलने के कारण ड्राइवर और कंडक्टर के खिलाफ कोई कार्रावाई नहीं की जाएगी.