प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश शासन द्वारा पारित उस आदेश को निरस्त कर दिया, जिसके तहत डिप्टी एसपी लक्ष्मी सिंह चौहान को पुलिस इंस्पेक्टर के पद पर रिवर्ट कर दिया गया था. कोर्ट ने याचिकाकर्ता को पुनः डीएसपी के पद पर बहाल कर दिया और साथ ही साथ पब्लिक सर्विस कमीशन द्वारा दी गई उस संस्तुति को भी निरस्त कर दिया, जिसमें याची को डीएसपी से इंस्पेक्टर बनाने की बात कही गई थी. यह आदेश जस्टिस अजीत कुमार ने वरिष्ठ अधिवक्ता विजय गौतम की बहस सुनने के बाद दिया है.
गाजियाबाद जनपद में इंस्पेक्टर के पद पर कार्यरत रहीं याचिकाकर्ता लक्ष्मी सिंह चौहान के खिलाफ 25 सितंबर 2019 को एक प्राथमिकी दर्ज की गई थी. इस प्राथमिकी में डॉ. राकेश कुमार मिश्र, डिप्टी एसपी, साहिबाबाद ने यह आरोप लगाया था कि अभियुक्त राजीव सचान और आमिर को बड़ी रकम के साथ गिरफ्तार किया गया था, लेकिन पूछताछ में उनके पास और भी बड़ी रकम बरामद हुई. इस मामले में याची और 6 अन्य पुलिसकर्मियों पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए गए थे.
कोर्ट में प्रस्तुत की गई जानकारी
याचिकाकर्ता के वकील, वरिष्ठ अधिवक्ता विजय गौतम ने अदालत को बताया कि 2 सितंबर 2021 को स्पेशल जज ने याची और अन्य आरोपियों को भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत आरोपमुक्त कर दिया था. इसके बाद उत्तर प्रदेश सरकार ने इस आदेश के खिलाफ हाईकोर्ट में क्रिमिनल रिवीजन दायर किया, जिसके परिणामस्वरूप हाईकोर्ट ने विशेष न्यायालय के आदेश को अग्रिम आदेशों तक स्थगित कर दिया था.
प्रमोशन का मामला
23 अप्रैल 2022 को याचिकाकर्ता के बैच के 33 इंस्पेक्टरों को डिप्टी एसपी के पद पर पदोन्नति दी गई, लेकिन याची को उस समय पदोन्नति नहीं दी गई क्योंकि उनके खिलाफ क्रिमिनल केस विचाराधीन था. बाद में 29 अगस्त 2023 को याची को पदोन्नति दी गई और उन्हें डिप्टी एसपी के पद पर कार्यभार ग्रहण करने के लिए आगरा भेजा गया. हालांकि, 11 जून 2024 को उत्तर प्रदेश शासन ने इस पदोन्नति आदेश को निरस्त करते हुए उन्हें फिर से इंस्पेक्टर बना दिया.
हाईकोर्ट का उत्तर प्रदेश शासन को आदेश
हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश शासन और पुलिस अधिकारियों को निर्देश जारी करते हुए कहा कि याचिकाकर्ता को डिप्टी एसपी के पद पर तदर्थ आधार पर बहाल किया जाए और उनकी पदोन्नति का निर्णय चल रही आपराधिक कार्यवाही के परिणाम पर निर्भर करेगा.
इनपुट : हिन्दुस्थान समाचार