नई दिल्ली; संभल की शाही जामा मस्जिद की सर्वे रिपोर्ट आज शुक्रवार को पेश होने थी. लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने आज संभल मस्जिद विवाद मामले संभल ट्रायल कोर्ट से कहा कि वह शाही जामा मस्जिद के खिलाफ चल रहे मुकदमे में तब तक आगे न बढ़े, जब तक मस्जिद समिति द्वारा सर्वेक्षण आदेश के खिलाफ दायर याचिका इलाहाबाद हाई कोर्ट में सूचीबद्ध नहीं हो जाती. सुप्रीम कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट को हाई कोर्ट के आदेश का इंतजार करने को कहा है. इसके अलावा, सुप्रीम कोर्ट ने यह निर्देश भी दिया कि मस्जिद का सर्वेक्षण करने वाले एडवोकेट कमिश्नर की रिपोर्ट को सीलबंद लिफाफे में रखा जाए और इस दौरान उसे खोला न जाए.
चीफ जस्टिस संजीव खन्ना व जस्टिस संजय कुमार की बेंच ने यह आदेश संभल शाही जामा मस्जिद समिति द्वारा दायर उस याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया, जिसमें ट्रायल कोर्ट के 19 नवंबर के आदेश को चुनौती दी गई थी.
सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाई कोर्ट को निर्देश दिया कि वह मस्जिद समिति द्वारा दायर अपील पर तीन दिन के अंदर सुनवाई करे. कोर्ट ने ये भी स्पष्ट किया कि मस्जिद समिति को पहले हाई कोर्ट में अपील करनी चाहिए थी. अभी यह उचित मंच नहीं है. इस याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने लंबित रखा है.
चीफ जस्टिस संजीव खन्ना ने इस दौरान संभल जिले में समुदायों के बीच शांति बनाए रखने की आवश्यकता पर चिंता व्यक्त की और उत्तर प्रदेश प्रशासन के अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल के.एम. नटराज से कहा, “शांति और सद्भाव बनाए रखना होगा. सुप्रीम कोर्ट इस मामले में 6 जनवरी से शुरू होने वाले हफ्ते में सुनवाई करेगी.
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वहीं, आज इलाहाबाद हाईकोर्ट में भी एक और PIL दायर की गई है, जिसमें संभल के जिला अधिकारी, पुलिस अधीक्षक, संबंधित एसएचओ और अन्य जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ FIR दर्ज करने की मांग की गई है. याचिका में कोर्ट से यह भी आग्रह किया गया है कि वो उत्तर प्रदेश सरकार को इन अधिकारियों को गिरफ्तार करने का निर्देश दे. आरोप है की जिले के इन अधिकारियों की वजह से अशान्ति फैली है.