नई दिल्ली: यूपी के संभल जिले में जामा मस्जिद के सर्वेक्षण के बाद हुई हिंसा चर्चाओं में हैं. लेकिन इसी बीच सुप्रीम कोर्ट ने पूजा स्थलों की सुरक्षा और 1991 में बने उपासना स्थल कानून से संबंधित दायर याचिका पर सुनवाई को राजी हो गया है. यह मामला अब अदालत में अहम मोड़ पर पहुंच चुका है.
सुप्रीम कोर्ट पूजा स्थलों की सुरक्षा और 1991 के कानून से संबंधित दायर को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई को राजी हो गया है. मामले की सुनवाई 4 दिसंबर 2024 को होगी. मामले की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली पीठ करेगी, जिसमें जस्टिस पी नरसिम्हा और जस्टिस मनोज मिश्रा भी शामिल होंगे. उल्लेखनीय है कि यह याचिका जमीअत उलमा-ए-हिंद और गुलजार अहमद नूर मोहम्मद आजमी ने दायर किया था. उनकी तकफ से वकील एजाज मकबूल कोर्ट में अपना पक्ष रखेंगे.
क्या है 1991 का पूजा स्थल कानून?
भारत में 1991 का पूजा स्थल कानून एक महत्वपूर्ण कानून है, जिसके तहत स्वतंत्रता संग्राम के समय, 15 अगस्त 1947 के बाद, किसी भी धार्मिक स्थल के स्वरूप को बदलने पर पाबंदी लगाई गई थी. इस कानून का उद्देश्य धार्मिक स्थलों के स्वामित्व और स्वरूप में किसी भी प्रकार का बदलाव रोकना था. केवल बाबरी मस्जिद-रामजन्मभूमि विवाद को इस कानून से बाहर रखा गया था.
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क्या कहती है धारा 3?
इस कानून की धारा 3 के तहत यह कहा गया है कि कोई भी व्यक्ति या समूह किसी धार्मिक स्थल को किसी दूसरे धार्मिक संप्रदाय के स्थल में बदलने का प्रयास नहीं कर सकता. इसका उद्देश्य धार्मिक स्थलों के मौजूदा स्वरूप को बनाए रखना था, ताकि धार्मिक आस्थाएं और विश्वासों को संरक्षित किया जा सके.