आगरा: ताजमहल बनाम तेजोमहालय को लेकर जारी विवाह के बीच, आज बुधवार को लघुवाद न्यायालय में सुनवाई होगी. इस मामले में न्यायाधीश मृत्युंजय श्रीवास्तव के समक्ष भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) द्वारा नकल मांगने का प्रार्थना पत्र खारिज कर दिया गया था. अब इस मामले में मुस्लिम पक्ष के सैय्यद इब्राहिम हुसैन जैदी की ओर से वादी बनाए जाने की याचिका पर कोर्ट कोई निर्णय ले सकता है.
योगी यूथ ब्रिगेड के अध्यक्ष कुंवर अजय तोमर ने 23 जुलाई 2024 को ताजमहल या तेजोमहालय में सावन माह में जलाभिषेक और दुग्धाभिषेक करने की मांग करते हुए कोर्ट में याचिका डाली थी. उन्होंने याचिका में यह जानकारी दी थी कि सन् 1212 में राजा परमर्दिदेव ने यमुना किनारे एक विशाल शिव मंदिर बनवाया था, जिसका नाम ‘तेजोमहालय’ या ‘तेजोमहल’ था. बाद में राजा मानसिंह ने इसे अपना महल बनाया, लेकिन इस मंदिर को सुरक्षित रखा. तोमर का आरोप है कि शाहजहां ने इस मंदिर को हड़पकर ताजमहल का निर्माण कराया, उन्होंने याचिका में यह भी दावा किया कि मुमताज की कोई कब्र ताजमहल में नहीं है, क्योंकि मुमताज का निधन 1631 में हुआ था, जबकि ताजमहल का निर्माण 1632 में शुरू हुआ था.
इस मामले में मुस्लिम पक्ष के सैय्यद इब्राहिम हुसैन जैदी ने ताजमहल की छवि को खराब करने का आरोप लगाया. उन्होंने कोर्ट में आवेदन देकर कहा कि कुछ लोग ताजमहल को लेकर सुर्खियों में बने रहने के लिए इसे लेकर विवाद पैदा करते हैं, जो आगरा और ताजमहल की पर्यटन छवि को नुकसान पहुंचा रहा है. जैदी का कहना है कि ताजमहल एक वक्फ संपत्ति है. यह मामला सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है, इसलिए वे खुद को वादी बनाए जाने की मांग कर रहे हैं. हालांकि, हिंदू पक्ष ने सैय्यद इब्राहिम हुसैन जैदी को मामले में वादी बनाए जाने का हिंदू पक्ष ने विरोध किया है.
इस मामले में एएसआई (भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण) को पक्षकार बनाया जा चुका है. एएसआई के अधीक्षक पुरातत्वविद डॉ. राजकुमार पटेल ने न्यायालय में आपत्ति जताई थी कि इस मामले में भारत सरकार को प्रतिवादी बनाया जाए. एएसआई के अधीक्षक ने कहा कि ताजमहल एक ऐतिहासिक धरोहर है और इस पर विवाद करना भारतीय संस्कृति और इतिहास को विकृत करने जैसा है.
इस मामले में आज बुधवार को सुनवाई के दौरान अदालत को यह तय करना है कि सैय्यद इब्राहिम हुसैन जैदी को वादी बनाए जाने का आवेदन स्वीकार किया जाए या नहीं. इस विवाद में अब तक कई ऐतिहासिक और धार्मिक दावे किए जा चुके हैं, यह मामला कानूनी दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है.