कानपुर: शुक्लागंज और कानपुर के बीच गंगा नदी पर अंग्रेजों के समय बना पुल आज मंगलवार की सुबह ढह गया. यह पुल करीब 150 साल पुराना था. पुल की बनावट और इसकी मजबूती के चलते यह पुल ऐतिहासिक महत्व रखता था. तीन साल पहले ही इस पुल की जर्जर हालत को देखते हुए प्रशासन ने यातायात बंद कर दिया गया था. जिससे चलते किसी भी प्रकार की दुर्घटना होने से बच गई. हालांकि गनीमत यह रही कि जब पुल गिरा, तब उसके नीचे नदी से कोई नाव गुजर नहीं रही थी, नहीं तो बड़ी दुर्घटना हो सकती थी.
शुक्लागंज में गंगा नदी पर बना क्षतिग्रस्त पुल जो कि काफी पुराना और जर्जर हो चुका था, ढह गया है। यह पुल कोरोना काल के दौरान बंद कर दिया गया था क्योंकि उसकी स्थिति बहुत खराब हो गई थी। यह पुल कानपुर और उन्नाव को जोड़ता था और अंग्रेजों के समय में, सन् 1874 में बनाया गया था। #kanpur pic.twitter.com/H7gcVOrsC1
— Vicky Poonia (@MrVickyPoonia) November 26, 2024
1870 में अंग्रेजी हुकूमत ने बनवाया था पुल
पुल का निर्माण 1870 के दशक में ब्रिटिश हुकूमत ने करवाया था. तब इस पुल को बनाने की जिम्मेदारी अवध एंड रुहेलखंड कंपनी लिमिटेड को दी गई थी. पुल का डिजाइन जेएम हेपोल ने तैयार किया था. पुल बनवाने का प्रमुख उद्देश्य कानपुर और शुक्लागंज को जोड़ना था. अपनी डबल-स्टोरी संरचना के चलते यह पुल भी काफी चर्चित रहा.
800 मीटर लंबा था कार्यक्रम
14 जुलाई 1870 में पुल बनने के बाद इसके ऊपरी हिस्से पर नैरो गेज रेलवे लाइन थी. वहीं, निचले हिस्से से हल्के वाहन और पैदल यात्री आवागमन करते थे. 50 सालों तक इस पुल का प्रयोग ट्रेन और सड़क यातायात दोनों के लिए किया गया था. बाद में, कानपुर और उन्नाव के बीच यातायात बढ़ने पर ट्रेन के लिए अलग पुल बनवाया गया और पुराने पुल को पूरी तरह से सड़क यातायात के लिए खोल दिया गया. इस पुल की लंबाई 800 मीटर थी.
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पुल से भावनात्मक रूप से जुड़े थे स्थानीय
हाल के वर्षों में पुल काफी जर्जर हो चुका था. लंबे समय तक रखरखाव की कमी और पुरानी संरचना के कारण तीन साल पहले ही यातायात के लिए बंद कर दिया गया था. पुल के ढहने की जानकारी मिलते ही स्थानीय बड़ी संख्या में देखने पहुंच गए. चूंकि लोग भावनात्मक रूप से लोग इस पुल से जुड़ थे, इसलिए लोग भावुक भी हो गए. पुल पर कई फिल्मों की शूटिंग भी हुई है, हालांकि अब यह इतिहास का हिस्सा बन चुका है.