झुंझुनू: राजस्थान के झुंझुनू जिले से एक हैरान करने वाला मामला सामने आया है. यहां राजकीय भगवानदास खेतान (बीडीके) अस्पताल में डॉक्टरों की घोर लापरवाही उजागर हुई है. डॉक्टरों ने पहले एक जिंदा व्यक्ति को मृत घोषित किया, बाद में उसका पोस्टमार्टम कर काथित शव को डीप फ्रीजर में भी रखवा दिया. परिजन शव लेकर दाह संस्कार के लिए पहुंचे तो मृत घोषित व्यक्ति की सांसे चलने लगीं. जिसके बाद उस शख्स को फिर से बीडीके अस्पताल के आईसीयू में भर्ती कराया गया है. फिर यहां से उसे जयपुर भेजा गया. लेकिन 12 घंटे बाद उसकी मौत हो गई.
क्या है पूरा मामला?
मां सेवा संस्थान के आश्रय गृह में रहने वाले विमंदित रोहिताश की गुरुवार दोपहर तबीयत बिगड़ने के बाद उसे बीडीके अस्पताल में भर्ती कराया गया था. उपचार के दौरान डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर कथित शव को मोर्चरी में रखवा दिया. दो घंटे बाद, पोस्टमार्टम करने के शव को संस्थान को सौंप दिया गया. हालांकि, जब रोहिताश के परिजनों ने उसे चिता पर लिटाया, तो अचानक उसकी सांसें चलने लगीं. यह चमत्कारिक घटना देश श्मशान घाट पर मौजूद सभी लोग हैरान रह गए. फिर उसे तुरंत अस्पताल लाया गया. लेकिन 12 घंटे बाद उसकी मौत हो गई.
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3 डॉक्टर सस्पेंड
इस मामले की गंभीरता को देखते हुए जिला कलेक्टर रामावतार मीणा ने जांच के आदेश दिए हैं. देर रात को चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग की प्रमुख शासन सचिव निशा मीणा ने इस मामले में अस्पताल के पीएमओ डॉ. संदीप पचार, डॉ. योगेश कुमार जाखड़ और डॉ. नवनीत मील को निलंबित कर दिया. इस घटना ने अस्पताल की पोस्टमार्टम प्रक्रिया पर सवाल खड़ा कर दिया है. लोग हैरान हैं कि किस प्रकार एक जिंदा व्यक्ति को मृत घोषित कर दिया गया और पोस्टमार्टम की औपचारिकता पूरी की गईं.