लखनऊ; नौ विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव के बाद सभी राजनीतिक दल हार-जीत की गणित लगाने में जुट गए हैं. एक तरफ सपा सभी सीटों पर जीत का दावा कर रही है, वहीं भाजपा भी हुंकार भरने के साथ ही जश्न की तैयारियां करने में जुट गई है. इस बीच कांग्रेस और बसपा खामोश है. चुनाव के दौरान भी कांग्रेस नेताओं में कहीं उत्साह नहीं दिखा और न ही सपा के साथ तालमेल बैठाकर चलते दिखे. बसपा की खामोशी पर लोग तरह-तरह की अटकलें लगा रहे हैं.
बता दें कि बीते बुधवार को हुए नौ विधानसभा सीटों पर भाजपा और सपा के बीच स्पष्ट लड़ाई दिखी. बसपा के कार्यकर्ता कई जगहों से गायब रहे. वहीं कांग्रेस में भी कहीं उत्साह नहीं नजर आया. यहां तक कि अखिलेश यादव चुनावी प्रक्रिया के दौरान सुबह से ही गड़बड़ियों का मुद्दा सोशल मीडिया पर उठाते रहे, जिस पर चुनाव आयोग ने कार्रवाई भी की. लेकिन कांग्रेस नेता सोशल मीडिया पर भी अखिलेश यादव का साथ देते नहीं दिखे.
वहीं पूरे उपचुनाव के दौरान बसपा प्रमुख मायावती ने सिर्फ एक बार प्रेस-कांफ्रेस की. इसके बाद वे खामोश बनी रहीं. बसपा के दूसरे बड़े पदाधिकारियों ने अपने उम्मीदवारों के प्रचार में रुचि नहीं दिखाई. इससे बसपा का चुनाव प्रचार फीका रहा. यही नहीं बूथों पर बसपा द्वारा कोई हो-हल्ला नहीं देखा गया. कई जगहों पर तो बसपा के एजेंट भी न होने की सूचनाएं मिल रही हैं. बसपा की खामोशी पर लोग अब तरह-तरह की अटकलें लगा रहे हैं.
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यूपी में 20 नवंबर को 9 सीटों पर चुनाव की प्रक्रिया संपन्न हो गई है. अब परिणाम 13 नवंबर को आने हैं. लेकिन इससे पहले राजनीतिक गलियारों में हलचल तेज है. कई एग्जिट पोल्स में भाजपा को सपा पर बढ़त मिलती दिख रही है. हालांकि असली तस्वीर 23 नवंबर को ही साफ हो पाएगी.