लखनऊ; इन दिनों साइबर अपराधी उत्तर प्रदेश पुलिस के लिए नई एक चुनौती बने हुए हैं. आए दिन साइबर ठगी की लगतार घटनाए सामने आ रही हैं, जिसमें लोगों को गुमराह करते हुए साइबर ठग डिजिटल अरेस्ट करते हैं. जिसके बाद डरा-धमकाक बड़ी रकम खातों में ट्रांसफर करा लेते हैं. ताजा मामला लखनऊ के ठाकुर गंज का है, जहां एक रिटायर्ड कर्मचारी राज नारायण मिश्रा को साइबर अपराधियों ने 7 दिनों तक डिजिटल अरेस्ट रखा.
बता दें कि पंचायती राज विभाग से रिटायर हुए राज नारायण मिश्रा के फोन पर 6 नवंबर को एक कॉल आई. कॉल करने वाले ने कहा कि आपके एक अकाउंट से मनी लांड्रिंग का मामला सामने आया है. साइबर ठग ने राज नारायण का आधार नंबर व बैंक डिटेल बताई, जिससे राज नारायण को उस पर विश्वास हो गया. इसके बाद साइबर ठग ने राज नारायण को मनी लांड्रिंग के केस में जेल भेजने का डर दिखाया. साथ ही एक दूसरे ठग से बात कराई.
इसके कुछ देर बाद राज नारायण के पास फिर से कॉल आई. फोन करने वाले ने अपना नाम राजेश बताया. वह राज नारायण से जांच में सहयोग करने के लिए कहता है. कॉल करने वाले राजेश ने राज नारायण से कहा कि वह अपने खाते का पैसा उसके खाते में ट्रांसफर कर दे. जांच पूरी होने के बाद पैसा वापस कर दिया जाएगा. ठग के कहने पर राज नारायण 17 लाख रुपये उसके खाते में भेज देते हैं. लेकिन ठगी का खेल अभी यहीं खत्म नहीं होता है.
अगले दिन राजेश ठग ने राज नारायण को फिर से कॉल करते है और बेल कराने के नाम पर 95 हजार रुपये दोबारा ट्रांसफर करा लेता है. साइबर ठगों ने ऐसे ही कॉल कर-कर के अगले सात दिनों में राज नारायण से 19,50,000 रुपये ट्रांसफर करा लेते हैं. साथ ही साइबर ठग यह भी झांसा देते हैं कि उनकी हर गतिविधि पर उनकी नजर है. इसके बाद भी साइबर ठगों की डिमांड नहीं रुकती है.
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साइबर ठगों ने एक दिन फिर राज नारायण मिश्रा को कॉल की और धमकी दी. जिस पर उन्होंने घटना की पूरी जानकारी अपने बेटे को बटाई बताई. इस तरह ठगी का खुलासा हुआ. राज नारायण अपने बेटे के साथ साइबर थाने पहुंचे और आरोपियों के खिलाफ केस दर्ज कराया.