लखनऊ; शिक्षा व्यवस्था में पारदर्शिता, विद्यालय प्रबंधन में सुधार के लिए योगी सरकार ने विद्यालय प्रबंध समितियों के पुनर्गठन की प्रक्रिया तेज कर दी है. बच्चों के अधिकार और शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार की प्रक्रिया में विद्यालय प्रबंध समिति को सशक्त और मजबूत होना अनिवार्य है. वर्तमान शैक्षिक सत्र 2022-23 के लिए गठित एसएमसी का कार्यकाल 30 नवंबर, 2024 को समाप्त हो रहा है. इस कारण योगी सरकार ने नई समितियों के गठन का निर्णय लिया है.
उल्लेखनीय है कि योगी सरकार विद्यालय प्रबंध समिति के माध्यम से न केवल बच्चों के शैक्षणिक अधिकारों को सुदृढ़ करने का प्रयास कर रही है, बल्कि शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार लाने के लिए भी निरंतर प्रयासरत है. पुनर्गठित समितियां अब सामुदायिक भागीदारी को प्रोत्साहित करने और अभिभावकों को विद्यालय विकास से जोड़ने का माध्यम बनेंगी.
इसके जरिए शिक्षा प्रणाली को अधिक प्रभावी और सशक्त बनाया जा सकेगा. साथ ही, बेसिक शिक्षा विभाग और समग्र शिक्षा के तहत चलाए जा रहे विभिन्न कार्यक्रमों और योजनाओं को अधिक प्रभावी ढंग से लागू किया जा सकेगा.
बेसिक शिक्षा मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) संदीप सिंह ने बताया कि सरकार ने समितियों के कर्तव्यों को स्पष्ट किया गया है. इनमें विद्यालय की निगरानी, विकास योजना तैयार करना, धन का सदुपयोग सुनिश्चित करना, बच्चों का नामांकन व उपस्थिति, शिक्षकों की नियमित उपस्थिति पर ध्यान देना शामिल है.
मिड-डे मील योजना और अन्य शैक्षिक योजनाओं की गुणवत्ता की निगरानी भी समितियों की जिम्मेदारी होगी. श्री सिंह ने बताया कि विद्यालय में पारदर्शिता बनाए रखने और विकास कार्यों में भागीदारी बढ़ाने के लिए समितियों को वित्तीय मामलों में सहभागी बनाया गया है. निर्माण कार्यों की निगरानी के लिए उपसमितियां भी गठित की जाएंगी.