लखनऊ: सीएम योगी आज शुक्रवार को भगवान बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती पर उन्हें नमन किया. इस दौरान उन्होंने जनजातीय गौरव दिवस पर अंतर्राष्ट्रीय जनजातीय भागीदारी उत्सव का शुभारंभ किया. इस उत्सव का आयोजन राजधानी लखनऊ के गोमती नगर स्थित संगीत नाटक अकादमी में हो रहा है, जो 15 से 20 नवंबर तक चलेगा. महोत्सव में देश के 22 राज्यों के साथ-साथ स्लोवाकिया और वियतनाम जैसे देशों के कई विदेश कलाकार भी अपनी प्रस्तुति देंगे.
‘धरती आबा’ भगवान बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती एवं जनजातीय गौरव दिवस के अवसर पर लखनऊ में आयोजित ‘अंतर्राष्ट्रीय जनजाति भागीदारी उत्सव’ के शुभारंभ कार्यक्रम में…#JanjatiyaGauravDiwas https://t.co/C53aq41qdx
— Yogi Adityanath (@myogiadityanath) November 15, 2024
मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर जनजातीय समाज के मातृभूमि के प्रति त्याग, निष्ठा और वीरता को प्रेरणा का स्रोत बताया. उन्होंने कहा कि जनजातीय समाज सदैव देश की सेवा में तत्पर रहा है. सीएम योगी ने विशेष रूप से भगवान बिरसा मुंडा के संघर्ष और बलिदान को याद करते हुए पीएम मोदी द्वारा 15 नवंबर को ‘जनजातीय गौरव दिवस’ मनाने के निर्णय का स्वागत किया.
सीएम योगी ने जनजातीय समाज के सशक्तीकरण के लिए अपनी सरकार के प्रयासों को साझा करते हुए बताया कि 2017 में सत्ता में आने के बाद से उन्होंने जनजातीय समुदाय की जरूरतों को प्राथमिकता दी. सीएम योगी ने कहा कि पिछली सरकारों के दौरान जनजातीय समुदाय कई सरकारी योजनाओं से वंचित था. लेकिन भाजपा की सरकार ने इन समुदायों को प्रमुख योजनाओं से जोड़ने के लिए कई योजनाओं का संचालन किया. सीएम ने थारू, कोल, चेरु, गोंड, बुक्सा जैसे जनजातीय समुदायों के लिए सैचुरेशन योजना का उल्लेख करते हुए कहा कि इसके तहत प्रत्येक जरूरतमंद तक सरकारी लाभ पहुंचाने का अभियान चलाया जा रहा है.
सीएम ने जनजातीय समाज की संस्कृति और परंपरा के संरक्षण की दिशा में सरकार द्वारा किए जा रहे प्रयासों की जानकारी दी. उन्होंने बलरामपुर में थारू जनजाति की संस्कृति को प्रदर्शित करने के लिए बनाए गए म्यूजियम का उल्लेख किया, जिसे उन्होंने स्वयं देखा. इसके अलावा, सोनभद्र और बिजनौर के बुक्सा जनजाति क्षेत्रों में भी म्यूजियम निर्माण की योजना पर काम चल रहा है, ताकि आने वाली पीढ़ियां अपनी सांस्कृतिक धरोहर से परिचित हो सकें.
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सीएम योगी ने कहा कि टेक्नोलॉजी का उपयोग करते हुए अपनी संस्कृति और विरासत से जुड़े रहना बेहद आवश्यक है. उन्होंने कहा कि जनजातीय समाज का गौरवपूर्ण इतिहास और उनकी सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित करना और उसका प्रचार-प्रसार करना सरकार की प्राथमिकता है. यह महोत्सव जनजातीय समाज की कला, संस्कृति और परंपरा को मान्यता देने के साथ-साथ उनके गौरवपूर्ण इतिहास को आने वाली पीढ़ियों तक पहुंचाने का एक महत्वपूर्ण कदम है.