चंद्रयान 3 की शानदार सफलता के बाद, भारत अब अंतरिक्ष में खुद का स्पेस सेंटर बनाने जा रहा है. इसको लेकर भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) और डिपार्टमेंट ऑफ बायोटेक्नोलॉजी (DBT) ने मिलकर एक महत्वपूर्ण समझौता किया है. जिसके तहत भारत का अपना स्पेस स्टेशन ‘भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन’ (Indian Space Station) स्थापित किया जाएगा. जिसके बाद हमारा भारत भी दुनिया के उन चंद देशों की सूची में शामिल हो जाएगा, जिनका अंतरिक्ष में खुद का स्पेस स्टेशन है.
ISRO और DBT के समझौते के तहत बायोटेक्नोलॉजी से जुड़े कई दिलचस्प प्रयोग किए जाएंगे, जो अंतरिक्ष के विज्ञान के क्षेत्र में अभूतपपूर्व होंगे. माना जा रहा है कि भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन का निर्माण 2028 से 2035 के बीच पूरा हो सकता है. भारत ने अपने अंतरिक्ष स्टेशन के निर्माण की घोषणा 2019 में की थी, तभी से इस योजना से जुड़ी तमाम प्रकार की तैयारियों को किया जा रहा है. भारत यह स्पेस सेंटर न केवल अंतरिक्ष विज्ञाने के क्षेत्र में अनुसंधान करने के लिए मददगार साबित होगा, बल्कि जीवन के संभावनाओं की जांच करने के साथ-साथ नई दवाइयों, कृषि तकनीकी व ऊर्जा स्रोतों के क्षेत्र में मददगार साबित होगा.
भारत के स्पेस स्टेशन में एक अनोखा प्रयोग भी किया जाएगा. भारतीय अंतरिक्ष वैज्ञानिकों ने स्पेस में ‘आलू’ उगाने की योजना पर भी काम करना प्रारंभ कर दिया है. अंतरिक्ष में गुरुत्वाकर्षण की कमी (माइक्रोग्रैविटी) के कारण वहां रहने वाले इंसानों की मांसपेशियां कमजोर होने लगती हैं. वहां भोजन की कमी भी एक बड़ी चुनौती बन जाती है. इस समस्या का हल ढूंढने के लिए भारतीय स्पेस स्टेशन में एल्गी (एक प्रकार का पौधा) पर रिसर्च की जाएगी, जिससे स्पेस में खाना उगाने के साथ-साथ उसे लंबे समय तक स्टोर भी किया जा सके. साइंस के अनुसार अंतरिक्ष में आलू का पौधा उगाना आसान है.
स्पेस में रेडिएशन और फ्यूल का होगा शोध
स्पेस में हाई लेवल का रेडिएशन होता है, जो इंसान के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है. इस चुनौती से निपटने के लिए भी भारत के स्पेस स्टेशन में शोध किए जाएंगे. इसके अलावा, खास तरह के एल्गी से रॉकेट के लिए फ्यूल बनाने की दिशा में भी शोध किया जाएगा, जिससे स्पेस यात्रा के लिए एक नया और सस्ता तरीका विकसित हो सकता है.
अंतरिक्ष विज्ञान में भारत की एक नई क्रांति
भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन का यह कदम न केवल अंतरिक्ष विज्ञान में भारत की विशेषज्ञता को और बढ़ाएगा, बल्कि यह दुनिया को दिखाएगा कि भारत अंतरिक्ष के क्षेत्र में भी अपनी अग्रणी भूमिका निभा रहा है. इस स्पेस स्टेशन में होने वाले प्रयोग न केवल अंतरिक्ष यात्रा के लिए, बल्कि पृथ्वी पर जीवन और पर्यावरण के लिए भी महत्वपूर्ण साबित हो सकते हैं.
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अंतरिक्ष में पहले से ही मौजूद है अंतरराष्ट्रीय स्पेस सेंटर
उल्लेखनीय है कि अमेरिका, कनाडा, रूस और जापान ने मिलकर अंतरराष्ट्रीय स्पेस सेंटर (ISC) बनाया है. यह 1998 से वर्तमान में अंतरिक्ष में है. लेकिन 2030 तक ISC को हटाया जा सकता है. क्योंकि इसे संचालित करने में बहुत खर्च हो रहा है, जिसे यह सभी देश मिलकर निर्वहन करते हैं. क्योंकि अमेरिका और रूस के बीच रिश्ते कुछ ठीक नहीं चल रहे, इस स्थिति में ISC को लेकर बात बिगड़ सकती है. भारत से पहले चीन ने 2022 में ही अपना स्पेस सेंटर ‘तियांगोंग’ लांच कर दिया था.