मथुरा; गोवर्धन पूजा का पर्व आज यानी 2 नवंबर को पूरे भारत में मनाया जा रहा है. दरअसल इस बार प्रतिपदा तिथि 1 नवंबर को शाम 6.16 बजे से लग रही थी. यह दो नवंबर की रात 8.21 बजे समाप्त होगी. ऐसे में उदयातिथि के कारण गोवर्धन का पर्व आज दो नवंबर को मनाया जा रहा है.
क्यों मनाया जाता है गोवर्धन पर्व
कथानुसार भगवान श्रीकृष्ण ने ब्रजवासियों और जानवरों को, द्वापर युग में इंद्र देव के प्रकोप से बचाव के लिए अपनी छोटी उंगली पर गोवर्धन पर्वत उठाकर सबकी रक्षा की थी. तभी से इस पर्वत को पूजनीय माना गया है और हर साल इसी तिथि पर विधि-विधानों के साथ यह पर्व मनाया जाता है. भगवान श्रीकृष्ण की आज्ञा से गोवर्धन का पर्व अन्नकूट के साथ मनाया जाता है.
गाय के गोबर से क्यों बनती है गोवर्धन आकृति
भगवान श्रीकृष्ण को गाय बेहद प्रिय है. गाय के गोबर को हिंदू धर्म में बेहद पवित्र माना जाता है. इस वजह से गोवर्धन की आकृति बनाने के लिए गाय के गोबर का इस्तेमाल किया जाता है. वैसे भी सनातन धर्म में गया के गोबर का ज्यादातर इस्तेमाल शुभ कार्यों में किया जाता है.
क्यों बनता है अन्नकूट
गोवर्धन पूजा के दिन भगवान श्रीकृष्ण को 56 भोग अर्पित किए जाता हैं. अन्नकूट के जरिए प्राणियों को संकट से बचाने के लिए उनके प्रति कृतज्ञता अर्पित की जाती है और कामना की जाती है कि जिस तरह उन्होंने गोवर्धन को वर्षा के संकट से बचाया था उसी तरह प्राणियों को भी संकट से बचते रहें. अन्नकूट में तरह- तरह के पकवान और मिष्ठान आदि को शामिल किया जाता है. इसमें मक्खन-मिश्री से लेकर दूध-मलाई, बर्फ़ी आदि समेत कई तरह के भोग भगवान श्रीकृष्ण को अर्पित किए जाते हैं.
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कैसे मनाई जाती है गोवर्धन पूजा
गोवर्धन पूजा के दिन घरों के अंदर गाय के गोबर से गोवर्धन की आकृति बनाई जाती है. इसके बाद उन्हे तरह-तरह के पकवान अर्पित किए जाते हैं साथ ही दीपक जलाया जाता है. गोवर्धन भगवान से कामना की जाती है कि घर-परिवार को हमेशा संकट से बचाना जिस तरह आप ने गोवर्धनवासियों को संकट से बचाया था.