वाराणसी; आज धनतेरस का पावन पर्व है. धनतेरस पर्व के पावन मौके पर माता लक्ष्मी और धन कुबेर के साथ भगवान धन्वंतरि का पूजन किया जाता है. धनतेरस का पर्व काशी वाशियों के लिए बेहद खास होता है. क्योंकि पूरे साल इंतजार करने के बाद भक्तों को धनतेरस से लेकर भाई दूज के दिन तक ही, मां अन्नपूर्णा के स्वर्ण स्वरूप का दर्शन हो सकता है.
बात दें कि अन्नपूर्णा मंदिर में स्थापित मां अन्नपूर्णा देवी, लक्ष्मी देवी और भू देवी के साथ भगवान शंकर की रजत प्रतिमा के दर्शन सिर्फ दीपावली के समय ही किया जा सकता है. आज सुबह मंगला आरती के बाद भक्तों के लिए मां अन्नपूर्णा मंदिर के कपाट खोल दिए गए हैं. मां अन्नपूर्णा देवी के दर्शन करने के लिए कल दोपहर से ही मंदिर से लगभग 1 किलोमीटर के दायरे में की गई बेरोकेटिंग के अंदर भक्त इंतजार करते नजर आए. पूरी रात भक्तों ने इस बेरोकेटिंग के अंदर विश्राम करते हुए सुबह मां के मदिर के कपाट खुलने का इंतजार किया. मदिर का दरवाजा खुलते ही भक्तों ने मां अन्नपूर्णा देवी के दर्शन कर अपने जीवन को धन्य किया. अभी भी मां की एक झलक पाने के लिए भक्तों की 2 किमी लंबी कतार लगी हुई है.
मंदिर के महंत शंकर पूरी का कहना है कि माता अन्नपूर्णा के स्वर्ण प्रतिमा का दर्शन अद्भुत होता है. सब से बड़ी बात यह है कि मां के दर्शन की शुरुवात कब हुई, इस बात का किसी को भी अंदाज नहीं है. लेकिन अनादि काल से माता अन्नपूर्णा के स्वर्ण प्रतिमा का दर्शन धनतेरस से लेकर भाई दूज तक यानी सिर्फ चार दिन के लिए ही किया जा सकता है. लेकिन इस बार मां अन्नपूर्णा के दर्शन का लाभ भक्तों को पांच दिन तक मिल सकेगा. क्योंकि इस बार दीपावली को लेकर एक दिन का भ्रमण हो गया है. इस बार 31 और 1 दोनों तारीखों को अमावस्या का मान है. इसलिए 1 तारीख को भी मंदिर खुला रहेगा और भक्त पांच दिन तक मां के दर्शन का लाभ ले सकते हैं. वहीं भाई दूज वाले दिन भक्तों के लिए दर्शन बंद हो जाएगा.
सब से महत्वपूर्ण बात यह है कि माता अन्नपूर्णा की इस प्रतिमा का दर्शन करने के साथ ही खजाने का भी वितरण किया जाता है. यह खजाना 5 पैसे, 10 पैसे, 25 पैसे, 50 पैसे, 1 और 2 रुपये के सिक्कों के तौर पर होता है.