लखनऊ: लखनऊ-अयोध्या हाईवे पर अरबों रुपये की सरकारी भूमि पर अवैध रूप से VIP रेजिडेंशियल आवासों का निर्माण कर बेचने का बड़ा मामला सामने आया है. ‘मन्नत’ और ‘शालीमार पैराडाइज’ अपार्टमेंट सहित कई मल्टीस्टोरी बिल्डिंगों का निर्माण बिल्डर्स माफियाओं द्वारा कूटरचित दस्तावेजों के आधार पर किया गया था. यह घोटाला तब उजागर हुआ जब जगजीवन दास सनातन सेवा संस्थान ने इस मामले की शिकायत की.
जाली दस्तावेजों के माध्यम से किया मल्टीस्टोरी कॉलोनियों का निर्माण
लखनऊ जिलाधिकारी सत्येंद्र कुमार के निर्देश पर लेखपाल प्रमोद तिवारी ने जांच की, जिसमें पाया गया कि मोहम्मदपुर चौकी, कमरपुर और अकबराबाद गांवों की सरकारी भूमि पर जाली दस्तावेजों के माध्यम से मल्टीस्टोरी कॉलोनियों का निर्माण किया गया था. लेखपाल की तहरीर पर रविवार को सात लोगों, जिनमें दो महिलाएं भी शामिल हैं, उनके खिलाफ धोखाधड़ी और अन्य गंभीर धाराओं में मामला दर्ज किया गया है.
आरोपी जालसाजों में दो महिलायें भी शामिल
आरोपियों में चौधरी रसीदुद्दीन अशरफ, अंजुम फातिमा अशरफ, चौधरी मोहम्मद जियाउद्दीन अशरफ, चौधरी इमामुद्दीन अशरफ, फारूक, और फिरोज शामिल हैं. इन सभी पर सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने और धोखाधड़ी के आरोप लगाए गए हैं. इसके अलावा, लेखपाल ने बताया कि तीन अन्य आरोपी, जिनमें चौधरी मोहम्मद अजीमुद्दीन अशरफ, हमीदा बानो, और जुलेखा खातून शामिल हैं, जिनकी पहले ही मौत हो चुकी है.
सीलिंग भूमि का विवाद होने के बावजूद जालसाजों ने बेंच दी बेशकीमती जमीन
जांच में यह भी सामने आया कि वर्ष 2001 में दायर सीलिंग के मुकदमे में साल 2003 में अपर कलेक्ट्रेट की कोर्ट ने इस जमीन को सरकारी घोषित किया था. फिर दोबारा हुई सुनवाई के दौरान, अपर कलेक्ट्रेट की कोर्ट ने 18 अगस्त 2011 को उक्त भूमि को फिर से सीलिंग घोषित किया. इसके बावजूद, जालसाजों ने कूटरचित दस्तावेजों के आधार पर इस भूमि को बेच दिया.
इस मामले की जानकारी होने पर हाईवे किनारे स्थित मन्नत और शालीमार अपार्टमेंट में रह रहे लोगों और खरीदारों में हड़कंप मच गया है. नगर कोतवाली इंस्पेक्टर अमर मणि त्रिपाठी ने कहा कि लेखपाल की तहरीर पर मुकदमा दर्ज किया गया है और मामले की सभी बिंदुओं की गहन जांच की जा रही है.
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