कांग्रेस से फूलपुर सीट का नाता पुराना है. देश में पहली बार 1952 में हुए आम चुनावों में जवाहर लाल नेहरू ने इसी सीट से लोकसभा का चुनाव लड़ा. नेहरू यहां से लगातार 3 बार सांसद चुने गए. 1964 में प्रधानमंत्री रहते हुए जवाहर लाल नेहरू का निधन हो गया. जिसके बाद हुए उपचुनाव में नेहरू की बहन विजया लक्ष्मी पंडित ने फूलपुर से सांसदी का चुनाव लड़ा और जीत दर्ज की. फिर 1971 में कांग्रेस के विश्वनाथ प्रताप सिंह फूलपुर के सांसद चुने गए. कांग्रेस सरकार में मुख्यमंत्री रहे राम नरेश यादव ने भी 1996 और 2002 में फूलपुर विधानसभा सीट से जीत दर्ज की थी.
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कहा जा रहा है कि फूलपुर पूर्व प्रधानमंत्री नेहरू से जुड़ी सीट है. इसी के चलते कांग्रेस इस सीट को एक बार फिर से अपने कब्जे में लेना चाहती है. वहीं दूसरा कारण यह भी है कि सपा ने कांग्रेस को जो दो सीटें उपचुनाव लड़ने के लिए दी हैं, उनमें अलीगढ़ की खैर और गाजियाबाद सीट का नाम शामिल है. यह दोनों सीटें पश्चिम यूपी से आती हैं. ऐसे में कांग्रेस को यदि पूर्वांचल में भी अपना जनाधार बढ़ाना है तो यहां से अपने नेताओं को चुनाव लड़ाना होगा. माना जा रहा है कि दोनों प्रमुख कारण हैं कि कांग्रेस फूलपुर सीट को लेकर लगातार सपा पर दबाव बना रही थी.