लखनऊ; यूपी विधानसभा उपचुनाव को लेकर सपा और कांग्रेस के बीच गठबंधन को लेकर बात बनती नजर आ रही है. सूत्रों के अनुसार, बीती देर रात सपा प्रमुख अखिलेश यादव व कांग्रेस नेता राहुल गांधी के बीच फूलपुर विधानसभा सीट को लेकर वार्ता हुई. खबरें आ रही हैं कि अखिलेश यादव कांग्रेस को फूलपुर सीट देने की बात पर राजी हो गए हैं. इसकी घोषणा सार्वजनिक रूप से आज बुधवार की दोपहर तक हो सकती है.
उल्लेखनीय है कि यूपी में 9 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव की तारीखों का एलान हो गया है. 13 नबंवर को इन सीटों पर मतदान होगा और परिणाम 23 नवंबर को घोषित होंगे. सपा इन 9 सीटों में से 7 पर अपने प्रत्याशी भी उतार चुकी है. जबकि अलीगढ़ जिले की खैर और गाजियाबाद सीट कांग्रेस के लिए छोड़ी है. लेकिन कांग्रेस 5 सीटों से कम पर राजी नहीं है. अब कहा जा रहा है कि फूलपुर सीट सपा अपने सहयोगी दल कांग्रेस को देने पर मान गई है. इस तरह यह तय माना जा रहा है कि कांग्रेस यूपी की 3 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव लड़ेगी.
सपा ने फूलपुर से दिया है मुर्ताजा सिद्दीकी को टिकट
सपा ने फूलपुर के उप चुनावी रण में मुर्ताजा सिद्दीकी को उतारा था. क्योकि वह 2022 के विधानसभा चुनाव में भाजपा प्रत्याशी प्रवीण कुमार पटेल से सिर्फ 2,732 मतों से चुनाव हारे थे. हालांकि, अब सपा यह सीट कांग्रेस को देने का लगभग मन मना चुकी है. ऐसे में फूलपुर से कांग्रेस पार्टी अपना प्रत्याशी उतारेगी.
2022 के विधानसभा चुनाव में फूलपुर सीट का परिणाम
2022 के विधानसभा चुनाव में फूलपुर से भाजपा प्रत्याशी प्रवीण कुमार पटेल को 1,03,557 वोट मिले थे. वहीं दूसरे नंबर पर सपा के मुर्ताजा सिद्दीकी रहे थे. उन्हें 100,825 वोट मिले थे. इस प्रकार भापजा ने यहां से 2,732 वोटों के अंतर से सपा को मात दी थी. 2022 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी सिद्धनाथ मौर्य फूलपुर सीट पर चौथे नंबर पर रहे थे. वह सिर्फ 1,626 वोट प्राप्त कर सके थे और उनकी जमानत तक जब्त हो गई थी.
कांग्रेस क्यों चाहती है फूलपुर सीट?
कांग्रेस से फूलपुर सीट का नाता पुराना है. देश में पहली बार 1952 में हुए आम चुनावों में जवाहर लाल नेहरू ने इसी सीट से लोकसभा का चुनाव लड़ा. नेहरू यहां से लगातार 3 बार सांसद चुने गए. 1964 में प्रधानमंत्री रहते हुए जवाहर लाल नेहरू का निधन हो गया. जिसके बाद हुए उपचुनाव में नेहरू की बहन विजया लक्ष्मी पंडित ने फूलपुर से सांसदी का चुनाव लड़ा और जीत दर्ज की. फिर 1971 में कांग्रेस के विश्वनाथ प्रताप सिंह फूलपुर के सांसद चुने गए. कांग्रेस सरकार में मुख्यमंत्री रहे राम नरेश यादव ने भी 1996 और 2002 में फूलपुर विधानसभा सीट से जीत दर्ज की थी.
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कहा जा रहा है कि फूलपुर पूर्व प्रधानमंत्री नेहरू से जुड़ी सीट है. इसी के चलते कांग्रेस इस सीट को एक बार फिर से अपने कब्जे में लेना चाहती है. वहीं दूसरा कारण यह भी है कि सपा ने कांग्रेस को जो दो सीटें उपचुनाव लड़ने के लिए दी हैं, उनमें अलीगढ़ की खैर और गाजियाबाद सीट का नाम शामिल है. यह दोनों सीटें पश्चिम यूपी से आती हैं. ऐसे में कांग्रेस को यदि पूर्वांचल में भी अपना जनाधार बढ़ाना है तो यहां से अपने नेताओं को चुनाव लड़ाना होगा. माना जा रहा है कि दोनों प्रमुख कारण हैं कि कांग्रेस फूलपुर सीट को लेकर लगातार सपा पर दबाव बना रही थी.