अयोध्या; 23 अक्टूबर बुधवार से कार्तिक माह प्रारंभ हो रहा है. इसको देखते हुए रामनगरी अयोध्या में कल्पवास करने वाले भक्तों के पहुंचने का क्रम जारी है. भक्त सरयू नदी के तट स्थित विभिन्न मंदिरों में एक माह तक रहकर कल्पवास करेंगे. इस दौरान वह अयोध्या की परिक्रमा भी करेंगे. जिसके बाद कार्तिक पूर्णिमा की तिथि को सरयू में स्नान करने के बाद उनका यह अनुष्ठान पूरा होगा.
अयोध्या में कार्तिक माह में कल्पवास करने की परंपरा सनातन काल से चली आ रही है. इस बार लाखों श्रद्धालु कल्पवास करने के लिए विभिन्न आश्रमों में आश्रय लेने के लिए पहुंच चुके हैं. आश्विन पूर्णिमा से ही जप, अनुष्ठान, दर्शन-पूजन और सत्संग की दिनचर्या आरंभ हो चुकी है. भक्तों ने प्रातःकाल सरयू नदी में स्नान कर तुलसी और आंवला का पूजन किया.
कार्तिक मास में तुलसी पौध का रोपण और विवाह का विशेष महत्व है. मान्यताओं के अनुसार, इस महीने में दान करने से अक्षय फल की प्राप्ति होती है. राम मंदिर निर्माण के बाद यह पहली बार होगा, जब श्रद्धालु कल्पवास करने अयोध्या पहुंच रहे हैं. माना जा रहा है कि इस बार बड़ी संख्या में कल्पवासी श्रद्धालु अयोध्या पहुंच सकते हैं. इसको देखते हुए प्रशासनिक तैयारियां भी तेज हो गई हैं.
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12 नवंबर को देवोत्थानी एकादशी के दिन पंचकोसी परिक्रमा आयोजित की जाएगी, जिसमें पिछले वर्ष की तुलना में और अधिक भक्तों के शामिल होने की संभावना है. 15 नवंबर को कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर अयोध्या में रहने वाले भक्तों का कल्पवास समाप्त होगा.