नई दिल्ली- एक तरफ भारत नई-नई मारक क्षमता वाली मिसाइलें विकसित करके एयरोस्पेस की दुनिया में अपना दबदबा कायम कर रहा है, तो दूसरी तरफ भारतीय सेना भी लगातार अपने फायरिंग रेंज की संख्या बढ़ाने की योजना पर लगातार काम कर रही है. सुरक्षा मामलों की केंद्रीय कैबिनेट समिति ने आंध्र प्रदेश में एक नई मिसाइल परीक्षण रेंज स्थापित करने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है. इसके अलावा सेना ने माओवादियों के गढ़ अबूझमाड़ के घने जंगल के क्षेत्र में विशाल सैन्य युद्धाभ्यास रेंज की स्थापना करने की प्रक्रिया शुरू की है.
डीआरडीओ रक्षा बलों के लिए बड़ी संख्या में हथियार प्रणालियों को विकसित करने के उन्नत चरण में है. जिसमें बहुत कम दूरी की वायु रक्षा प्रणाली, मानव पोर्टेबल एंटी टैंक गाइडेड मिसाइल, एंटी टैंक गाइडेड मिसाइल, त्वरित प्रतिक्रिया सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल प्रणाली, और सामरिक डोमेन में कई अन्य प्रणालियां शामिल हैं. भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता वाली सुरक्षा मामलों की कैबिनेट समिति (CCS) ने एक प्रस्ताव को मंजूरी दी है, जिसके अनुसार नई मिसाइल रेंज आंध्र प्रदेश के नागयालंका क्षेत्र में स्थापित की जाएगी. इस मिसाइल परीक्षण रेंज का इस्तेमाल सतह से हवा में खत्म करने वाली मिसाइल प्रणाली, टैंक रोधी मिसाइल और सामरिक मिसाइल प्रणालियों के परीक्षण के लिए किया जाएगा.
सुरक्षा मामलों की कैबिनेट समिति ने बीते सप्ताह इसी बैठक में अमेरिका से 31 प्रीडेटर ड्रोन खरीदने और भारतीय नौसेना के लिए दो परमाणु पनडुब्बियों के निर्माण को भी मंजूरी दी थी. डीआरडीओ इन परमाणु पनडुब्बियों के निर्माण में बड़ी भूमिका निभाएगा. भारतीय नौसेना को दो परमाणु ऊर्जा चालित हमलावर पनडुब्बियां मिलेंगी, जो हिंद महासागर क्षेत्र में नौसेना की क्षमताओं को कई गुना बढ़ाने में मदद करेंगी. यह सौदा लंबे समय से अटका हुआ था और भारतीय नौसेना इस पर जोर दे रही थी. यह पानी के भीतर क्षमता की कमी को पूरा करने के लिए एक महत्वपूर्ण योजना थी. बैठक में अंतरिक्ष आधारित क्षमताओं के साथ-साथ बलों के लिए सड़कें बनाने के प्रस्तावों को भी आगे बढ़ाया गया है.
इसके अलावा भारतीय सेना माओवादियों के गढ़ अबूझमाड़ के घने जंगल वाले क्षेत्र में 545 वर्ग किलोमीटर में फैले एक विशाल सैन्य युद्धाभ्यास रेंज की भी स्थापना करेगी. इसका उपयोग एकीकृत युद्ध समूहों, स्ट्राइक कोर, लड़ाकू विमानन ब्रिगेड, रॉकेट फोर्स के अभ्यास के लिए किया जाएगा. छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र में फैला हुआ अबूझमाड़ 4,000 वर्ग किलोमीटर में फैला वन क्षेत्र है. छत्तीसगढ़ सरकार ने बीते 7 अगस्त को नारायणपुर जिला प्रशासन से अबूझमाड़ के जंगलों के अंदर सेना के युद्धाभ्यास रेंज के लिए 54,543 हेक्टेयर भूमि अधिग्रहित करने को कहा था. पत्र में कहा गया था कि अबूझमाड़ के जंगलों में रेंज की स्थापना जिले के ओरछा तहसील के सोनपुर-गरपा क्षेत्र में की जाएगी.
चीन से गतिरोध के बीच उत्तरी सीमा पर भारतीय सेना ने हाल ही में अरुणाचल प्रदेश के तवांग सेक्टर में एक नई उच्च ऊंचाई वाली पहली फायरिंग रेंज स्थापित की है. यह युद्धाभ्यास रेंज सामरिक युद्ध अभ्यास के लिए महत्वपूर्ण है, जिसमें दुश्मन के टैंकों से बचाव जैसी हमला रणनीति शामिल है. सैन्य अभ्यास करने के लिए जमीन के एक बड़े टुकड़े की आवश्यकता होती है, यही वजह है कि युद्धाभ्यास रेंज का उपयोग किया जाता है. ये रेंज टैंक प्रशिक्षण और विभिन्न युद्धक्षेत्र परिदृश्यों के लिहाज से समर्पित क्षेत्र होता है, जिससे सैनिकों को सुरक्षित वातावरण में अपने कौशल को निखारने में सहूलियत मिलती है.
इनपुट- हिंदुस्तान समाचार
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