गोरखपुर: आज गोरखपुर में गोरक्षपीठ के पीठाधीश्वर एवं उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि जब तक समाज में जातीय विभेद, छुआछूत और अश्पृश्यता जैसी बुराइयां बनी रहेंगी, तब तक राष्ट्रीय एकता को चुनौती मिलती रहेगी। उन्होंने कहा कि भारत की संत परंपरा ने सदैव समाज को जोड़ने का संदेश दिया है। हमें बांटने वाली ताकतों के षड्यंत्रों से सतर्क रहना होगा और एकजुट होकर देश और समाज हित में कार्य करना होगा।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ गोरक्षपीठ के महंत दिग्विजयनाथ जी महाराज की 55वीं पुण्यतिथि और महंत अवेद्यनाथ जी महाराज की 10वीं पुण्यतिथि के उपलक्ष्य में आयोजित श्रद्धांजलि समारोह के अंतिम दिन अपने विचार व्यक्त कर रहे थे। उन्होंने कहा कि संतों की पुण्यतिथि पर आयोजन से उनके व्यक्तित्व और कृतित्व का स्मरण होता है, जिससे समाज को नई प्रेरणा मिलती है।
महंत अवेद्यनाथ जी महाराज का व्यक्तित्व
मुख्यमंत्री ने अपने गुरुदेव महंत अवेद्यनाथ जी महाराज की प्रशंसा करते हुए कहा कि वह धर्माचार्य और सच्चे समाज सुधारक थे। वे धर्म विरोधियों के प्रति कठोर और धर्म प्रेमियों के प्रति वात्सल्य से भरे थे। गोरक्षपीठ की परंपरा समाज की एकजुटता और शिक्षा, चिकित्सा, गोसेवा, और गोरक्षा के अभियानों को आगे बढ़ाने की रही है।
राष्ट्रीय एकता और सामाजिक एकजुटता पर जोर
योगी आदित्यनाथ ने कहा कि गोरक्षपीठ ने हमेशा सामाजिक एकता का संदेश दिया है, क्योंकि जातीय विभाजन ने देश को अतीत में गुलामी की ओर धकेला है। उन्होंने स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद भी देश में मानसिक गुलामी का उल्लेख किया और कहा कि तत्कालीन नेतृत्व देश को सही दिशा नहीं दे पाया, जिसके परिणामस्वरूप समाज में विभाजनकारी ताकतें हावी होती रहीं।
पिछले 10 वर्षों में भारत ने सही दिशा में कदम बढ़ाए – CM
मुख्यमंत्री ने कहा कि पिछले 10 वर्षों में भारत ने सही दिशा में कदम बढ़ाए हैं और इस दौरान देश की प्रगति और सर्वांगीण विकास उत्साहजनक रहा है। उन्होंने कहा कि आज हमें बांटने वाली ताकतों के षड्यंत्रों से बचकर सामाजिक एकता को मजबूत करना होगा। संत परंपरा का मुख्य उद्देश्य सामाजिक एकजुटता को बनाए रखना है।
महंत दिग्विजयनाथ और महंत अवेद्यनाथ की विरासत
मुख्यमंत्री ने अपने गुरुजनों का स्मरण करते हुए कहा कि महंत दिग्विजयनाथ और महंत अवेद्यनाथ ने सामाजिक एकता को प्रोत्साहित करने के लिए अपने कार्यों से प्रेरणा दी है। उनके द्वारा शुरू किए गए शिक्षा, चिकित्सा, और सेवा के प्रकल्पों ने समाज को नई दिशा दी।
इस अवसर पर अन्य संतों और विद्वानों ने भी अपने विचार व्यक्त किए। महंत बालकनाथ, जगदगुरु रामानुजाचार्य स्वामी वासुदेवाचार्य और श्रीमदजगदगुरु अनंतानंद द्वाराचार्य ने महंत दिग्विजयनाथ जी महाराज और महंत अवेद्यनाथ जी महाराज को श्रद्धांजलि अर्पित की।
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