नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में मदरसा शिक्षा को लेकर महत्वपूर्ण दलीलें रखी हैं। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मदरसा एजुकेशन एक्ट 2004 को खत्म कर दिया था और कहा था कि ये मौलिक अधिकारों और धर्मनिरपेक्षता के खिलाफ है। इसी आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है।
उत्तर प्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि मदरसे से पढ़ने वाले बच्चे सिर्फ 10वीं-12वीं की योग्यता वाली नौकरियों के लायक हैं। SCERT के सिलेबस के अनुसार मदरसों में मेनस्ट्रीम विषय सिर्फ 8वीं तक पढ़ाएं जाते हैं। नवीं और दसवीं में मेनस्ट्रीम विषय पढ़ना जरूरी नहीं है। स्टूडेंट्स को गणित, गृह विज्ञान, तर्क और दर्शन, सामाजिक विज्ञान, विज्ञान और टिब में से सिर्फ एक विषय चुनना होता है। लेकिन मदरसा बोर्ड में ऐसा नहीं है।
उत्तर प्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल कर मदरसा बोर्ड द्वारा दी जाने वाली कामिल और फाजिल डिग्री को भी सरकारी नौकरियों के लिए अमान्य बताया है। सरकार का कहना है कि ये डिग्रियां विश्वविद्यालयों की UG और PG डिग्री के समकक्ष नहीं है। ऐसे में मदरसा बोर्ड से कामिल और फाजिल डिग्री की पढ़ाई करने वाले छात्र केवल हाई स्कूल और इंटरमीडिएट स्तर की नौकरियों के लिए ही योग्य होते हैं।