नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने देशभर में जारी बुलडोजर कार्रवाई पर अंतरिम रोक लगा दी है। साथ ही कहा कि देश में बिना उसकी अनुमति के कोई भी विध्वंस नहीं किया जाएगा। जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस केवी विश्वनाथन की बेंच ने स्पष्ट किया कि ये आदेश सार्वजनिक सड़कों, फुटपाथों, रेलवे लाइनों और जलाशयों पर अतिक्रमण से संबंधित मामलों पर लागू नहीं होगा।
ये आदेश सुप्रीम कोर्ट ने उस याचिका पर जारी किया है जिसमें विभिन्न राज्य सरकारों द्वारा अपराध के आरोपी व्यक्तियों की संपत्तियों को ध्वस्त करने की कार्रवाई को चुनौती दी गई थी। याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया कि विध्वंस की ये कार्रवाइयां एक दंडात्मक उपाय के रूप में की जा रही हैं, जो कानून का उल्लंघन है।
इस दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर आपत्ति जताते हुए कहा कि इस प्रकार के निर्देश वैधानिक अधिकारियों के हाथ बांध देंगे। हालांकि, जस्टिस बीआर गवई की अध्यक्षता वाली बेंच ने इस तर्क को खारिज कर दिया और कहा कि एक सप्ताह के लिए तोड़फोड़ रोकने से कोई गंभीर समस्या नहीं होगी।
जस्टिस केवी विश्वनाथन ने सुनवाई के दौरान कहा कि अगर एक भी अवैध विध्वंस होता है, तो यह संविधान की भावना के विरुद्ध है। कोर्ट ने संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत अपनी विशेष शक्तियों का उपयोग करते हुए यह निर्देश पारित किया है।
जस्टिस बीआर गवई ने अपनी अहम टिप्पणी में कहा, “हमने स्पष्ट कर दिया है कि हम अनधिकृत निर्माण के बीच में नहीं आएंगे… लेकिन कार्यपालिका जज नहीं हो सकती। कोर्ट ने इस टिप्पणी के साथ अगले आदेश तक बुलडोजर कार्रवाई पर रोक लगा दी है। इस मामले पर अगली सुनवाई अब 1 अक्टूबर को होगी।