लखनऊ: सुल्तानपुर एनकाउंटर मामले को लेकर प्रदेश में राजनीति चरम पर है. बीते गुरुवार को सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने सीएम योगी पर हमला बोलते हुए कहा था कि माफिया और मठाधीश में कोई अंतर नहीं है. अखिलेश यादव के इस बयान से संत समाज में नाराजगी देखी जा रही है. संतों का कहना है कि जो लोग मुख्तार-अतीक जैसे माफियाओं को गोद में बैठाते थे, वह मठ-मंदिरों की मर्यादा के बारे में क्या जानेंगे.
अखिलेश यादव के बयान पर विरोध जताते हुए मन: कामेश्वर मंदिर आगरा के महंत योगेश पुरी महाराज ने कहा कि अगर वह कह रहे हैं कि मठाधीशों और माफिया में कोई अंतर नहीं, तो उन्हें पहले अपने बारे में सोचना चाहिए. क्योंकि वह भी राज सत्ता चलाते हैं. इसलिए मठाधीश तो वह भी हैं. उन्होंने अखिलेश यादव पर निशाना साधते हुए कहा कि जिन्होंने कारसेवकों पर गोलियां चलवाई थीं, उनकी मंशा मठों के प्रति और क्या हो सकती है.
वहीं, श्री पंचायती अखाड़ा उदासीन निर्वाण के महंत दुर्गा दास ने भी अखिलेश यादव पर निशाना साधते हुए कहा कि योगी जी जिस गद्दी के पीठाधीश्वर हैं, वह बहुत ही सिद्ध और पूज्यनीय है. उन्होंने कहा कि मठाधीश तो सभी संत होते हैं सभी की गद्दी होती है. अखिलेश यादव का बयान निंदनीय है. क्योंकि मठाधीश की तुलना सनातन धर्म में भगवान से की गई है.
हनुमानगढ़ी के संत वरुण दास जी महराज ने भी सपा प्रमुख पर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि अखिलेश को लुटेरों व सज्जनों के बीच अंतर नहीं पता है. माफिया असामाजिक कार्यों में संलिप्त होता है. जबकि मठाधीश धर्म, समाज और जनकल्याण के कार्यों को करते हैं. उनका यह बयान बेहद अशोभनीय है.
हनुमानगढ़ी के आचार्य डॉ. देवेशाचार्य जी महाराज ने कहा कि उत्तर प्रदेश में सबसे अधिक संत निवास करते हैं, इसी राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री का इस प्रकार का बयान बेहद निराशाजनक है. अखिलेश को मठाधीश और माफिया का अंतर नहीं पता.