नई दिल्ली: इन दिनों देश भर में गणेश उत्सव की धूम देखने को मिल रही है. महाराष्ट्र सहित पूरे देश भर में स्थापित गणेश प्रतिमाओं का विसर्जन 17 सितंबर तक होना है. इसी को लेकर एनजीटी ने पुणे में गणपति विसर्जन में 30 से ज्यादा लोगों के ना शामिल होने को लेकर आदेश जारी किया था. जिसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी. आज गुरुवार को चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच ने इस मामले पर सुनवाई करते हुए एनजीटी के आदेश पर रोक लगा दी है.
चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच के समक्ष ‘युवा वाद्य पथक ट्रस्ट’ की ओर से पेश वकील ने एनजीटी द्वारा 17 अगस्त को जारी किए गए आदेश पर रोक लगाने की मांग की। ट्रस्ट के वकील ने कोर्ट में कहा कि एनजीटी ने पुणे में गणपति के विसर्जन के लिए ढोल-नगाड़े समूह के साथ निकलने वाली गणेश विसर्जन यात्रा में 30 से अधिक संख्या को प्रतिबंधित करने का आदेश दिया है. जिस पर सुप्रीम कोर्ट से कहा गया कि एनजीटी विसर्जन के लिए लोगों की संख्या कैसे सीमित कर सकता है. उन्होंने कहा कि यह पर्व पुणे वासियों के मन में बसता है.
चीफ जस्टिस ने कहा कि ये त्योहार पुणे वालों के दिल में बसता है. उन्हें अपनी मर्जी से ढोल-ताशा के साथ त्योहार मनाने दिया जाए. जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार, पुणे डिस्ट्रिक कलक्ट्रेट ऑफिस, पुणे पुलिस कमिश्नर और पुणे म्युनिसिपल कार्पोरेशन को नोटिस जारी किया है.