नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने आज उत्तर प्रदेश में 69000 शिक्षक भर्ती मामले से जुड़ी याचिका पर सुनवाई करते हुए इलाहाबाद हाई कोर्ट के आदेश पर अंतरिम रोक लगा दी है। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जे बी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की तीन सदस्यीय बेंच ने यह आदेश दिया। बेंच ने हाई कोर्ट के फैसले को फिलहाल स्थगित रखते हुए मामले की अगली सुनवाई 25 सितंबर को निर्धारित की है।
चीफ जस्टिस ने संबंधित पक्षों को निर्देश दिया कि वे अपनी लिखित दलीलें पेश करें, ताकि मामले पर अंतिम सुनवाई की जा सके। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि वह इस मामले के कानूनी पहलुओं की विस्तृत समीक्षा करेगा और इसके लिए दो नोडल वकील भी नियुक्त किए गए हैं।
मामले की पृष्ठभूमि में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने आरक्षण नियमों के उल्लंघन के आधार पर 69000 शिक्षक भर्ती की मेरिट लिस्ट को रद्द कर दिया था, जिससे लगभग 19000 ऐसे शिक्षकों की नौकरियों पर असर पड़ सकता है, जो पिछले चार सालों से कार्यरत हैं। सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश के बाद फिलहाल इन शिक्षकों को राहत मिली है, लेकिन इस मामले का अंतिम फैसला कोर्ट की विस्तृत सुनवाई के बाद ही सामने आएगा।
क्या था हाई कोर्ट का आदेश ?
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने उत्तर प्रदेश में 69000 सहायक शिक्षक भर्ती मामले में फैसला सुनाते हुए जून 2020 और जनवरी 2022 की चयन सूचियों को रद्द कर दिया था। कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को निर्देश दिया था कि वह 2019 की सहायक शिक्षक भर्ती परीक्षा के आधार पर तीन महीने के भीतर नई चयन सूची जारी करे। हाई कोर्ट का यह फैसला आरक्षण नियमों के पालन न होने के आधार पर दिया गया था। हाई कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया था कि यदि आरक्षित वर्ग का कोई उम्मीदवार सामान्य वर्ग की मेरिट के बराबर अंक प्राप्त करता है, तो उसे सामान्य वर्ग के तहत ही चयनित माना जाएगा।
सुप्रीम कोर्ट में हाई कोर्ट के इसी आदेश को चुनौती दी गई थी। कोर्ट में कहा गया इस निर्णय का सीधा असर उन शिक्षकों पर पड़ सकता है जो पहले से कार्यरत हैं, क्योंकि चयन सूची रद्द होने के कारण उन्हें अपनी नौकरी खोने का खतरा है। कोर्ट ने सभी पक्षों को इसपर लिखित दलील देने का आदेश दिया है जिससे इसपर अंतिम सुनवाई की जा सके।