बागपत: पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ का यूपी के बागपत से रिश्ता पूरी तरह से खत्म हो रहा है। परवेज मुशर्रफ का परिवार मूल रूप से बागपत का रहने वाला था। यहां उनके परिवार की हवेली और पैतृक संपत्ति भी है। हालांकि, 1947 में बंटवारे के समय परवेज मुशर्रफ का परिवार पाकिस्तान में जाकर बस गया था। जिसके बाद सरकार ने उनकी संपत्ति को शत्रु संपत्ति घोषित कर अपने कब्जे में ले लिया था। आज गुरुवार को उसी संपत्ति की नीलामी होनी है। यह जमीन नीलामी में खरीदने वाले व्यक्ति के नाम आज ही दर्ज हो जाएगी।
दरअसल, पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ का परिवार बागपत जिले के कोताना गांव में रहता था। उनके पिता मुशर्रफुद्दीन और माता बेगम जरीन का निकाह भी कोताना में ही हुआ था। हालांकि, 1943 में मुशर्रफ के मात-पिता रोजगार की दृष्टि से दिल्ली में जाकर बस गए थे। यहीं परवेज मुशर्रफ और उनके भाई डॉ. जावेद मुशर्रफ का जन्म हुआ। 1947 में जब देश का बंटवारा हुआ तो मुशर्रफ का पूरा परिवार पाकिस्तान चला गया था। लेकिन, उनकी हवेली और पैतृक जमीन दिल्ली और कोताना गांव में ही रह गई। हालांकि, परवेज मुशर्रफ की जमीन को पहले ही बेंच दिया गया था। लेकिन, उनके भाई जावेद मुशर्रफ और परिजनों की 13 बीघा जमीन रह गई थी। जिसकी नीलामी आज हो रही है। जिसमें शामिल होने के लिए भारत के कई राज्यों से लोग आ रहे हैं।
सरकार ने घोषित की थी शत्रु संपत्ति
भारत सरकार ने 15 साल पहले परवेज मुशर्रफ व उनके परिवार की जमीन को शत्रु संपत्ति घोषित किया था। जबकि कोताना गांव में स्थित मुशर्रफ के परिवार की कोठी को उनके चचेरे भाई हुंमायू के नाम दर्ज कर दिया गया था। वहीं, अब बाकी बची जमीन को सरकार नीलाम कर रही है। जिसकी आधी से ज्यादा प्रक्रिया पूरी हो चुकी है। आज ऑनलाइन माध्यम से जमीन की नीलामी होगी। जिसके बाद यह जमीन खरीदने वाले के नाम दर्ज हो जाएगी।
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2023 में हुआ था परवेज मुशर्रफ का निधन
पाकिस्तान के राष्ट्रपति रहे परवेज मुशर्रफ का निधन 5 फरवरी 2023 को दुबई में हुआ था। परवेज मुशर्रफ पाकिस्तानी सेना के प्रमुख रहते हुए पाकिस्तान की सत्ता हथिया ली थी। मुशर्रफ को पेशावर हाई कोर्ट ने 31 मार्च, 2014 को देश में इमरजेंसी लगाने के मामले में फांसी की सजा सुनाई थी। मुशर्रफ ने 1999 से 2008 तक पाकिस्तान में शासन किया था। हालांकि, बाद में उन्हें पाकिस्तान छोड़ना पड़ा था।