लखनऊ: इन दिनों बहराइच जिले के लोग भेड़िए के आतंक से खौफजदा हैं। खूंखार हो चुके भेड़ियों ने अबतक 9 बच्चों सहित 10 लोगों को अपना शिकार बनाया है। वहीं, करीब 40 से ज्यादा लोग घायल बताए जा रहे हैं। भेड़ियों के आतंक से जो स्थिति आज बहराइच की है… वहीं स्थिति आज से 74 साल पहले यानी 1950 में यूपी की राजधानी लखनऊ की थी। लखनऊ के साथ-साथ फिरोजाबाद और आगरा जैसे जिलों में भी भेड़ियों का खौफ था। आगरा में भेड़ियों का समूह डीएम आवास तक पहुंच गया था। वहीं, लखनऊ और फिरोजाबाद में भेड़ियों ने कई लोगों को अपना शिकार बनाया था। तब सरकार ने लोगों को भेड़ियों के आतंक से मुक्ति दिलाने के लिए सेना व 400 शिकारियों को उतारा था। साथ ही पीएसी व पुलिस जवानों की कई टीमों को भी तैनात किया गया था। जिसके बाद लोगों को राहत मिल पाई थी।
बात सितंबर 1950 की है, देश को आजाद हुए 3 हो चुके थे। तब आबादी कम होने के चलते लखनऊ से गुजरने वाली गोमती नदी के किनारे व शहर के अन्य इलाकों जैसे कि कुकरैल, तेलीबाग, अर्जुनगंज आदि क्षेत्रों में घने जंगल हुआ करते थे। जंगल में कई प्रकार के खूंखार जानवरों की भी मौजूदगी थी। इन्हीं में भेड़िए भी शामिल थे। सितंबर 1950 में भेड़िए जंगल से निकलकर लखनऊ शहर में प्रवेश कर गए और दहशत मचाना शुरू कर दिया। शहर में कई भेड़ियों की मौजूदगी थी। भेड़ियों ने एक ही रात में 3 लोगों पर हमला कर उन्हें अपना शिकार बनाया। इतना ही नहीं भेड़िए घरों में घुसकर कई बच्चों को भी उठा ले गए।
भेड़ियों का आतंक दिन-ब-दिन बढ़ता जा रहा था। सरकार ने पुलिस और वन विभाग के कर्मचारियों को भेड़ियों को पकड़ने के लिए लगाया। लेकिन, यह इंतजाम नाकाफी साबित हुए। अपनी जान पर खतरा देख लोगों ने स्वयं कमान संभाली। भेड़ियों से बचने के लिए लोग मचान बनाकर अपने बच्चों के साथ उसी पर सोते थे। साथ ही लोगों ने मोहल्लों में गश्त करने के लिए कई रक्षा दलों का भी गठन किया। लेकिन, फिर भी भेड़ियों के आतंक को समाप्त नहीं किया जा सका। तत्कालीन लखनऊ के डीएम एसएनएम त्रिपाठी ने मामले की रिपोर्ट शासन को दी, जिसके बाद भेड़ियों के खौफ को खत्म करने के लिए सेना के जवानों को तैनात किया गया। साथ ही 400 शिकारियों, पुलिस व पीएसी जवानों को भी मोर्चे पर लगाया गया। 25 दिनों बाद सेना ने 4 भेड़िए को मार गिराया। जिसके बाद लखनऊ वासियों ने राहत की सांस ली।
आगरा और फिरोजाबाद में भी भेड़ियों ने मचाई थी दहशत
1950 में लखनऊ के अलावा भेड़ियों ने आगरा और फिरोजाबाद में भी दहशत मचाई थी। फिरोजाबाद तब आगरा की एक तहसील थी। 1950 में आगरा के डीएम रहे एचसी गुप्ता के बंगले में भेड़ियों का एक समूह घुस आया। जिसके बाद भेड़ियों को पकड़ने के लिए भारी पुलिस फोर्स को बुलाना पड़ा। पुलिस टीम ने भेड़ियों को घेरा फिर डीएसपी एके जोशी ने गोली मारकर भेड़ियों के आतंक का खात्मा किया। 1951 में एक बार फिर से आगरा डीएम के बंगले में एक भेड़िया घुस आया। जिसके बाद उसे जाल बिछाकर पकड़ा गया।
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इसी प्रकार से 1951 में फिरोजाबाद (तब आगरा जिले की एक तहसील) था। यहां तब भेड़ियों का आतंक देखने को मिला था। यमुना किनारे जंगलों में बसे गांवों में भेड़िए ने एक के बाद एक 6 बच्चों को अपना शिकार बनाया। 1952 में फिरोजाबाद के हीविट पार्क (अब पालीवाल पार्क) में घुसकर भेड़ियों ने कई लोगों पर हमला किया था। तब लोगों ने परेशान होकर डीएम से भेड़ियों को गोली मारने की मांग की थी।
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