कोलकाता। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी हाल ही में कोलकाता के आर.जी. कर मेडिकल कॉलेज में एक ट्रेनी डॉक्टर के साथ हुई जघन्य घटना के बाद तीव्र आलोचना का सामना कर रही हैं। घटना पर देश की राष्ट्रपति द्वारा प्रतिक्रिया देने और राज्य सरकार की विफलता को उजागर करने से ममता सरकार पर दबाव और बढ़ गया है। वहीं सड़क पर उतरे डॉक्टरों, आम नागरिकों, छात्रों के विरोध के बढ़ते स्वर को देखते हुए, ममता बनर्जी ने राज्य विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने की घोषणा की है, जिसमें दुष्कर्म विरोधी बिल पेश किया जाएगा।
विधानसभा में आएगा नया दुष्कर्म विरोधी कानून
सूत्रों के अनुसार, पश्चिम बंगाल सरकार ने दुष्कर्म विरोधी बिल को विधानसभा में पेश करने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। विशेष सत्र 2 सितंबर से शुरू होगा। बंगाल सरकार दुष्कर्म के दोषियों को 10 दिन के अंदर फांसी की सजा सुनिश्चित करने के लिए 3 सितंबर को राज्य विधानसभा में संशोधित विधेयक पेश करेगी। विधानसभा सचिवालय के अधिकारियों ने बताया कि बिल का मसौदा तैयार करने के लिए आवश्यक निर्देश पहले ही जारी कर दिए गए हैं। कैबिनेट की बैठक में इस बिल को लाने के फैसले पर अंतिम मुहर लग चुकी है।
ममता बनर्जी का राज्यपाल पर हमला
ममता बनर्जी ने घोषणा की है, “हम पश्चिम बंगाल विधानसभा में दुष्कर्मियों को फांसी के पक्ष में बिल पास करेंगे और इसे राज्यपाल को भेजेंगे। अगर राज्यपाल ने इस पर कार्रवाई नहीं की, तो महिलाएं राजभवन के सामने प्रदर्शन करेंगी।
उन्होंने राज्यपाल सी.वी. आनंद बोस के खिलाफ सख्त रुख अपनाते हुए कहा, “मैं जानती हूं कि राजा की नीति क्या है। राजाबाबू कुछ नहीं करेंगे। अगर नहीं किया तो महिलाएं राजभवन के सामने घंटों तक बैठेंगी। इस बिल पर हस्ताक्षर करने होंगे। राज्यपाल राष्ट्रपति के पास भेजकर अपना दायित्व पूरा नहीं कर सकते हैं।”
ममता बनर्जी के सख्त रुख के पीछे का डर ?
हाल ही में ममता बनर्जी ट्रेनी डॉक्टर के साथ हुई अपने ही राज्य में जघन्य घटना के विरोध में सड़क पर उतरीं थीं। उन्होंने बयान दिया था कि, “आर.जी. कर अस्पताल की घटना के अभियुक्त को रविवार तक फांसी दी जाए। बांग्लादेश की तरह यहां मेरी सरकार गिराने की कोशिश हो रही है। मुझे सत्ता का कोई लालच नहीं है। इस घटना को सीपीएम और भाजपा राजनीति का मुद्दा बना रही हैं।” उनके ऐसे बयान पहली बार सामने आए हैं।
क्या ममता बनर्जी बड़े वोट बैंक के बिखरने का खतरा ?
इन बयानों के बाद राजनीतिक गलियारों में सवाल उठ रहे हैं कि क्या ममता बनर्जी को अपने बड़े वोट बैंक के बिखरने का खतरा नज़र आ रहा है? उनके इस आनन फानन में उठाए कदम से यह भी संकेत मिल रहा है कि वह इस घटना के कारण भारी दबाव में हैं। चूंकि इस घटना से सम्पूर्ण देश आक्रोशित है। पश्चिम बंगाल में सड़क पर उतरे डॉक्टरों, आम नागरिकों और छात्रों ने सीधे तौर पर राज्य सरकार को घेरा है। अब आरोप लग रहे कि अपने बड़े वोट बैंक को बचाने के लिए ममता सरकार ने दुष्कर्म विरोधी बिल का सहारा लिया है।
क्या राष्ट्रपति के बयान पर ये ममता का मनेजमेंट है?
राष्ट्रपति द्वारा ममता बनर्जी की सरकार की आलोचना के बाद, ममता द्वारा आनन-फानन में दुष्कर्म विरोधी बिल पेश करने की घोषणा से साफ है कि वह राज्य में उभरती असंतोष की लहर और विपक्ष के हमलों से निपटने के लिए इस कदम उठा रहीं हैं। यह उनका अपने सबसे बड़े वोट बैंक को साधने का प्रयास भी माना जा सकता है। ममता सरकार द्वारा इस बिल को जल्दबाजी में विधानसभा में पेश करने की घोषणा कहीं न कहीं ममता बनर्जी के सत्ता की सुरक्षा को लेकर उभरी चिंताओं को उजागर करता है।