नई दिल्ली: झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री व झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) के दिग्गज नेता रहे चंपई सोरेन 30 अगस्त को भाजपा का दामन थामेंगे। इसकी पुष्टि असम के सीएम हेमंत बिसवा सरमा ने एक्स पोस्ट के माध्यम से कर दी है। उन्होंने गृह मंत्री अमित शाह और चंपई सोरेन की मुलाकात के दौरान की एक फोटो शेयर की है। जिसमें वह भी अमित शाह और चंपई सोरेन के साथ बैठे नजर आ रहे हैं। इस फोटो में न सिर्फ झारखंड की राजनीति में बल्कि देश की राजनीति में तहलका मचा दिया है। एक ओर जहां विपक्षी गठबंधन लगातार भाजपा को दलितों, आदिवासियों और पिछड़ों के मुद्दे को लेकर घेर रहा है। वहीं, दूसरी ओर किसी बड़े आदिवासी नेता द्वारा इंडी गठबंधन को छोड़कर भाजपा में शामिल होना… विपक्ष के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है। चंपई सोरेन के भाजपा में शामिल होने से देश और झारखंड की राजनीति में व्यापक प्रभाव पड़ेगा।
चंपई के आने से झारखंड में बीजेपी को मिलेगी मजबूती
पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेने के भाजपा में शामिल होने से झारखंड की राजनीति में बड़ा प्रभाव देखने को मिल सकता है। झारखंड में चंपई सोरेन को ‘टाइगर ऑफ कोल्हान’ के नाम से जाना जाता है। दरअसल, कोल्हान झारखंड के 5 प्रमंडलों में एक है। इस प्रमंडल में 3 जिले पूर्वी सिंहभूम, सराइकेला खरसावां और पश्चिमी सिंहभूम आते हैं। इन जिलों में चंपई सोरेन का अच्छा खासा प्रभाव है। यही कारण है कि 2019 के विधानसभा चुनाव में कोल्हान प्रमंडल की 14 विधानसभा सीटों में से 11 जेएमएम व 2 सीटें राज्य में उसकी सहयोगी कांग्रेस पार्टी ने जीती थीं। जबकि 1 सीट पर निर्दलीय प्रत्याशी को सफलता मिली थी।
इस क्षेत्र में भाजपा अपना खाता तक नहीं खोल पाई थी। हालांकि, 2024 में राज्य फिर से विधानसभा के चुनाव होने हैं। जिसको देखते हुए भाजपा की नजर कोल्हान क्षेत्र पर है। अगर इस क्षेत्र में भाजपा को मजबूत होना है तो किसी बड़े आदिवासी नेता की जरूरत होगी। वर्तमान समय में भाजपा के लिए चंपई सोरेन से अच्छा कोई विकल्प नहीं हो सकता। क्योंकि वह स्वयं कोल्हान संभाग के सरायकेला जिले से आते हैं।
चंपई सोरेन को क्यों कहा जाता है ‘टाइगर ऑफ कोल्हान’ ?
चंपई सोरेन को झारखंड में ‘टाइगर ऑफ कोल्हान’ के नाम से जाना जाता है। इसके पीछे उनके द्वारा कोल्हान के लिए उनके द्वारा किए गए संघर्ष हैं। चंपई सोरेन ने कोल्हान क्षेत्र में आदिवाली और मजदूरों के काफी संघर्ष किया है। झारखंड राज्य आंदोलन के दौरान चंपई सोरेन ने शिबू सोरेन के साथ लड़ाई लड़ी। झारखंड राज्य बनने के बाद उन्होंने इस क्षेत्र के युवाओं के रोजगार के लिए लड़ाई लड़ी। जिसके बाद बड़ी संख्या में टाटा समूह जैसे औद्योगिक प्रतिष्ठानों में युवाओं को नौकरी मिली। इन्हीं संघर्षों के चलते चंपई सोरेन को ‘टाइगर ऑफ कोल्हान’ के नाम से भी जाना जाता है।
चंपई की जनजातीय मतदाताओं में अच्छी पकड़
कोल्हान ऑफ टाइगर नाम से प्रसिद्ध चंपाई सोरेन को झारखंड की राजनीति में प्रभावशाली चेहरा माना जाता है। वह संथाल जनजाति समूह से आते हैं। इस समूह की प्रदेश में आबादी करीब 27 लाख 54 हजार 723 लाख है। जबकि राज्य की कुल जनसंख्या 3 करोड़ 29 लाख 88 हजार 134 है। इसमें से 86 लाख 45 हजार 42 जनजातियों समूह की भागीदारी है। झारखंड में संथाल, मुंडा, उरांव, हो, खड़िया, गोंड, कोल, कांवर सहित कुल 32 जनजातियां है। जिसके से सबसे बड़ी भागीदारी संथाल जनजाति की है।
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नया संगठन बनाने वाले निर्णय से लिया यू-टर्न
कुछ दिनों पहले नई दिल्ली से लौटने के बाद पूर्व सीएम चंपई सोरेन ने मीडिया से बात करते हुए नया राजनीतिक संगठन बनाने का निर्णय लिया था। तब उन्होंने कहा था कि वह शीघ्र ही अपने नए संगठन का नाम मीडिया के सामने रखेंगे। हालांकि, अब वह 30 अगस्त को भाजपा में शामिल होने जा रहे हैं। कहा जा रहा है कि उनके साथ जेएमएम के कई बड़े नेता भी भाजपा का दामन थाम सकते हैं।
JMM से क्यों अलग हुए चंपई सोरेन
खनन घोटाला मामले में हेमंत सोरेन ने जेल जाने से पहले अपने सीएम पद से इस्तीफा देकर… चंपई सोरेन को मुख्यमंत्री बनाया था। जिसके बाद वह झारखंड के 4 महीनों तक मुख्यमंत्री रहे। इन चार महीनों में उन्होंने खूब लोकप्रियता हासिल की। हालांकि, हाई कोर्ट से जमानत मिलने के बाद हेमंत सोरेन जेल से बाहर आए। तो उन्होंने चंपई सोरेन से इस्तीफा दिलवाकर खुद सत्ता अपने हाथों में ले ली। इसी के चलते चंपई सोरेन का जेएमएम और हेमंत सोरेन से मनमुटाव बढ़ता चला गया। उन्होंने जेएमएम से अलग होने की वजह अपनी एक एक्स पोस्ट में स्पष्ट की थी। जिसमें उन्होंने लिखा था पार्टी में उनता बहुत अपमान किया गया। उन्होंने कहा कि जब उन्हें सीएम पद से हटाना था, इसके पहले विधायक दल की बैठक बुलाई गई थी। इस दौरान उन्हें बैठक के विषय के बारे में तक नहीं बताया गया। उन्होंने अपनी पोस्ट में यह भी लिख था कि मेरे इतना अपनाम किया गया कि सीएम रहते हुए मेरे सभी कार्यक्रमों को रद्द कर दिया गया था।