कोलकाता: आरजी कर मेडिकल कॉलेज में जूनियर महिला डॉक्टर के साथ हुए दुष्कर्म और उसकी हत्या को लेकर देशभर में विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। इसको लेकर बंगाल सरकार बैकफुट पर है। अब इस घटना को लेकर कोलकाता के रेड लाइट एरिया सोनागाछी की सेक्स वर्करों ने विरोध करना प्रारंभ कर दिया है। सेक्स वर्करों ने दुर्गा प्रतिमा निर्माण के लिए अपने आंगन की मिट्टी देने से मना कर दिया है।
सेक्स वर्करों के संगठन दुर्बार महिला समन्वय समिति की एक पदाधिकारी ने कहा कि हम दुष्कर्म एवं हत्या के विरोध में अपने आंगन की मिट्टी नहीं दे रहे हैं। अक्सर दुष्कर्म पीड़ितों को न्याय नहीं मिलता। अब समय आ गया है कि हम इस मामले में अपनी आवाज बुलंद करें। इसलिए हमने विरोध स्वरूप अपने आंगन की मिट्टी देने से मना कर दिया है।
उल्लेखनीय है कि कुछ दिनों पहले बंगाल के विभिन्न रेड लाइट इलाकों की सेक्स वर्करों ने कोलकाता की जघन्य घटना के विरोध में रैलियां निकाली थीं। इस दौरान सेक्स वर्करों का नारा था कि यदि आवश्यक हो, तो हमारे पास आओ लेकिन किसी महिला का दुष्कर्म मत करो। साथ ही सेक्स वर्करों ने अपने सम्मान की लड़ाई को भी आगे ले जाने के लिए कहा है। सेक्स वर्करों का कहना है कि उन्हें दुर्गा पूजा में सिर्फ 4 दिनों के लिए सम्मान मिलता है। बाकी दिनों में उन्हें अपमान व तिरस्कार की भावना से देखा जाता है। इसलिए भी उन्होंने अपने आंगन की मिट्टी देने से मना कर दिया है। इन महिलाओं का कहना है कि समाज में उन्हें भी बराबरी का दर्जा मिलना चाहिए।
वहीं, कोलकाता की घटना के विरोध में कोलकाता की कुछ दुर्गा पूजा समितियों ने राज्य सरकार द्वारा दिए जाने वाले आर्थिक अनुदान को लेने से मना कर दिया है। इस साल अनुदान राशि को 70 हजार के बढ़ाकर 85 हजार रुपये कर दिया गया है।
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सेक्स वर्करों के आंगन की मिट्टी लेने के पीछे की मान्यता
मान्याताओं के अनुसार एक वेश्या मां दुर्गा की अनन्य भक्त थी। लेकिन वह समाज में अपने तिरस्कार से दुखी होकर मां दुर्गा की आराधना की। जिसके बाद मां दुर्गा ने प्रसन्न होकर उसे दर्शन दिया और कहा कि जब तक हमारी मूर्ति में वेश्यालयों की मिट्टी नहीं होगी तब तक उस प्रतिमा में मेरा वास नहीं होगा। तभी से बंगाल में दुर्गा प्रतिमाओं में वेश्यालयों के आंगन की मिट्टी का प्रयोग किया जाता है।