कोलकाता: कोलकाता के RG कर मेडिकल कॉलेज में ट्रेनी महिला डॉक्टर के साथ हुए जघन्य अपराध के मामले में CBI ने सुप्रीम कोर्ट को जांच की स्टेटस रिपोर्ट सौंपी है। रिपोर्ट में CBI ने कई अहम खुलासे किये हैं। CBI की तरफ से सुप्रीम कोर्ट को सोलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने बताया कि उन्हें जाँच घटना के 5वें दिन मिली। तब तक जहाँ पीड़िता का रेप हुआ, वहाँ काफी बदलाव किए जा चुके थे इसलिए CBI का जाँच शुरू करना मुश्किल हो रहा है। CBI ने यह भी कहा कि मामले में पीड़िता के परिजनों को भ्रमित किया गया। CBI ने इस मामले में RG कर कॉलेज के प्रिंसिपल संजय घोष की भूमिका को लेकर भी जाँच की है।
SC ने पश्चिम बंगाल पुलिस की कार्यशैली पर सवाल उठाये
बता दें गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच ने इसपर सुनवाई की। सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस ने पश्चिम बंगाल पुलिस की कार्यशैली पर सवाल उठाते हुए फटकार भी लगाई। उन्होंने पूछा कि यदि पीड़िता का पोस्टमार्टम शाम में हो गया तो उसकी मौत को अप्राकृतिक आखिर उसके बाद रात के 11 बजे कैसे माना गया और रिपोर्ट रात 11 बजे दर्ज कैसे हुई। सुप्रीम कोर्ट ने बंगाल सरकार से पोस्टमार्टम और अप्राकृतिक मौत की रिपोर्ट के बीच समय अंतराल को लेकर स्पष्टता मांगी है। जस्टिस जेबी पारदीवाला ने इस दौरान कहा कि उन्होंने 30 सालों में ऐसा मामला नहीं देखा है।
न्यायाधीश और डॉक्टर हड़ताल पर नहीं जा सकते – SC
सुनवाई के दौरान एम्स की ओर से पेश वकील ने कहा कि डॉक्टर अपने काम के साथ-साथ विरोध प्रदर्शन भी कर रहे हैं, लेकिन उन्हें प्रोटेस्ट के कारण परेशान किया जा रहा है। इस पर चीफ जस्टिस ने डॉक्टरों को आश्वासन देते हुए कहा कि वे निश्चिंत रहें। उन्हें पता है कि डॉक्टर 36 घंटों तक लगातार काम करते हैं। हम चाहते हैं कि डॉक्टर काम पर लौटें। कोर्ट ने कहा कि अगर डॉक्टर काम पर लौटते हैं तो फिर उनके खिलाफ कोई प्रतिकूल कार्रवाई नहीं की जाएगी। यही नहीं अपनी अहम टिप्पणी में बेंच ने कहा न्यायाधीश और डॉक्टर हड़ताल पर नहीं जा सकते क्योंकि वे जीवन और स्वतंत्रता से जुड़े मामलों से निपटते हैं।
SC ने राजनीतिक दलों को स्थिति का राजनीतिकरण न करने को कहा
वहीं आज सुनवाई के दौरान CBI और पश्चिम बंगाल सरकार के बीच में तीखी नोकझोंक हुई, जिसपर बेंच ने आपत्ति जताई। सुप्रीम कोर्ट ने राजनीतिक दलों को स्थिति का राजनीतिकरण न करने को कहा। कोर्ट ने कहा कानून अपना काम करेगा।
राज्य सरकारों को डॉक्टरों की सुरक्षा उपाय करने का निर्देश
सुप्रीम कोर्ट ने डॉक्टरों की सुरक्षा के संबंध में राज्य सरकारों को सुरक्षा उपाय करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने कहा कि केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के सचिव को राज्य के मुख्य सचिवों और पुलिस महानिदेशकों के साथ मिलकर डॉक्टरों की सुरक्षा सुनिश्चित करनी चाहिए। कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया कि यह प्रक्रिया 1 सप्ताह के भीतर पूरी की जानी चाहिए और राज्य सरकारें इसके बाद 2 सप्ताह की अवधि के भीतर उचित कार्रवाई करें।
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