नई दिल्ली: सर्वोच्च न्यायालय के एससी और एसटी आरक्षण में क्रीमीलेयर वाले निर्णय को लेकर दलित संगठनों ने आज बुधवार (21 अगस्त) को भारत बंद का आह्वान किया है। भारत बंद का आह्वान 14 घंटों के लिए किया गया है। इसको लेकर देशभर में मिला-जुला असर देखने को मिल रहा है। नेशनल कन्फेडरेशन ऑफ दलित एंड आदिवासी ऑर्गेनाइजेशंस सहित दलित समाज के कई संगठनों ने शीर्ष अदालत के फैसले को वापस लेने की मांग की है।
क्या हैं प्रमुख मांगें
दलित संगठनों के भारत बंद को लेकर कुछ मांगे भी सामने रखी हैं। जिसमें से प्रमुख मांग हाल ही में सुप्रीम कोर्ट द्वारा एससी और एसटी आरक्षण में क्रीमीलेयर यानी कि कोटा में कोटा वाले आदेश को वापस लेना है। साथ ही सरकारी नौकरी में कार्यरत SC/ST व OBC जाति में के कर्मचारियों की गणना कराकर उसे सार्वजनिक करने की मांग है। नेशनल कन्फेडरेशन ऑफ दलित एंड आदिवासी ऑर्गेनाइजेशंस (NACDAOR) की मांग है कि SC/ST व OBC जाति के सरकारी कर्मचारियों की गणना की जाए, ताकि उनके प्रतिनिधित्व के बारे में सभी को जानकारी मिल सके। साथ ही NACDAOR ने यह भी मांग रखी है कि न्यायिक अधिकारियों और जजों की भर्ती के लिए भारतीय न्यायिक सेवा आयोग का गठन किया जाए। ताकि न्याय व्यवस्था में SC/ ST और OBC वर्ग के 50 फीसदी प्रतिनिधित्व मिले।
दलित संगठनों का क्या कहना है?
सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर दलित संगठनों का तर्क है कि इस इससे आरक्षण व्यवस्था के मौलिक सिद्धांतों पर प्रश्न खड़ा हो गया है। दलित संगठनों का कहना है कि इससे आरक्षण व्यवस्था पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा और सामाजिक न्याय की अवधारणा कमजोर हो जाएगी। प्रदर्शन कर रहे संगठनों का कहना है कि आरक्षण उनकी प्रगति के लिए वहीं बल्कि उनके साथ सामाजिक रूप से हुए भेदभाव को मिटाकर न्याय दिलाने के लिए है। दलित संगठनों का कहना है कि भारत बंद का उद्देश्य इस फैसले पर सुप्रीम कोर्ट को पुनर्विचार करने व सरकार पर दबाव डालना है।
भारत बंद प्रदर्शन में शामिल संगठन
भारत बंद को अब कई संगठनों का समर्थन मिल चुका है। जिसमें सामाजिक व राजनीतिक संगठनों का भी नाम शामिल है। इसमें बहुजन समाज पार्टी, भीम आर्मी, भारत आदिवासी पार्टी, लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के साथ-साथ कांग्रेस पार्टी ने भी साथ दिया है। वहीं, सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भी इसका भारत बंद का समर्थन किया है।
यह भी पढ़ें: यूपी विधानसभा उपचुनाव से पहले फिर एक साथ अखिलेश-मायावती, इस मुद्दे पर दोनों नेता एक साथ!
किन राज्यों में दिख रहा भारत बंद का असर
जिन राज्यों में भारत बंद का असर दिख रहा है उसमें उत्तर प्रदेश जिसमें से खासकर पश्चिम यूपी इसके अलावा राजस्थान, बिहार,झारखंड, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ जैसे प्रदेश में बंद का मिला-जुला असर देखने को मिल रहा है।
सुप्रीम कोर्ट ने क्या सुनाया था फैसला
बीते 1 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने 2004 के अपने ही पुराने फैसले को पलटते हुए, कोटा के अंदर कोटा से जुड़े मामले पर फैसला सुनाया है। इस फैसले के अनुसार, कोर्ट ने कहा था कि राज्य सरकारें SC/ST वर्ग में सब कैटेगिरी का बना सकती हैं। राज्य सरकारों के पास विधानसभा में कानून बनाने के लिए अधिकार होंगे। बस सब कैटेगिरी का आधार सही होना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने यह फैसला 6-1 से पारित करते हुए यह भी कहा था कि यह करना अनुच्छेद 341 के खिलाफ नहीं होगा। इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़,न्यायमूर्ति बीआर गवई,न्यायमूर्ति विक्रम नाथ,न्यायमूर्ति बेला एम त्रिवेदी, न्यायमूर्ति पंकज मिथल, न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा और न्यायमूर्ति सतीश शर्मा की की खंड पीठ ने 6-1 से पारित किय था।