रांची: झारखंड की राजनीति में एक बार फिर से उतार चढ़ाव देखा जा रहा है। राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री और झारखंड मुक्ति मोर्चा के संस्थापक सदस्य रहे चंपई सोरेन ने JMM छोड़ने का निर्णय ले लिया है। इसकी वजह वह पार्टी में लगातार हो रहे अपने अपनाम को बताते हैं। हालांकि, अब सवाल उठने लगे हैं कि कल तक चंपई सोरेन को झारखंड के वर्तमान मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का सबसे करीबी कहा जाता था… वह आज पार्टी छोड़ने को क्यों विवश हुए? जबकि वह वर्तमान समय में JMM के संस्थापक सीबू सोरेन के बाद दूसरे सबसे वरिष्ठ नेता हैं। अपना पूरा जीवन JMM को मजबूत करने में लगाने के बाद अब चंपई सोरेन ने पार्टी से किनारा कर लिया, इसके पीछे की वजह क्या है? आइए पूरा घटनाक्रम समझते हैं।
दरअसल, 31 जनवरी को झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन को खनन से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में लंबी पूछताछ के बाद गिरफ्तार किया था। गिरफ्तारी से पहले हेमंत सोरेने ने सीएम पद से इस्तीफा देकर चंपई सोरेन को इंडी गठबंधन के विधायक दल का नेता बनवाया था। जिसके बाद 2 फरवरी को चंपई सोरेन राज्य के 11वें मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली।
28 जून को हेमंत सोरेन हुए रिहा
जमीन घोटाला मामले में जेल में बंद हेमंत सोरेन को 28 जून को राज्य के हाई कोर्ट से राहत मिली। 28 जून को उन्हें हाईकोर्ट से जमानत मिली और वह रिहा भी हो गए। हेमंत सोरेन की रिहाई के बाद 3 जुलाई को जेएमम और राज्य में उसके सहयोगी कांग्रेस, आरजेडी के विधायकों की बैठक बुलाई गई। जिसमें सर्वसम्मति से एक बार फिर से हेमंत को विधायक दल का नेता चुना गया। जिसके बाद 4 जुलाई को चंपई सोरेन ने इस्तीफा दे दिया और इस प्रकार से हेमंत सोरेन ने एक बार फिर से राज्य की बागडोर संभाली। इस प्रकार से चंपई सोरेन 153 दिनों तक झारखंड के मुख्यमंत्री रहे।
चंपई के नाराजगी की लगने लगी थीं अटकलें
अचानक इस प्रकार से चंपई सोरेन से इस्तीफा लेने के बाद अटकलें लगने लगीं की वह पार्टी से नाराज चल रहे हैं। लेकिन 16 अगस्त के बाद से इन अफवाहों ने और अधिक गति पकड़ी। चंपई सोरेन कोलकाता के रास्ते नई दिल्ली पहुंचे। हालांकि, यहां उन्होंने कहा कि वह निजी काम से नई दिल्ली आए हैं। उनकी बेटी दिल्ली में पढ़ाई करती है। इसलिए वह अकसर यहां आते रहते हैं। तभी से उनके बीजेपी में जाने की अटकलें तेज हुईं। राजनीति के जानकारों का कहना है कि उन्होंने कोलकाता में राज्य के वरिष्ठ भाजपा नेता से मुलाकात की थी। इस दौरान उनके साथ जेएमएम के कई विधायक भी मौजूद थे।
हालांकि, चंपई सोरेन ने अभी तक भले की किसी दल को ज्वाइन नहीं किया हो,लेकिन उन्होंने जेएमएम को लेकर अपनी बात स्पष्ट रूप से रख दी है। उन्होंने इस को लेकर अपने आधिकारिक अकाउंट पर एक पोस्ट की जिसमें उन्होंने जेएमएम में हुए अपने अपमान की जानकारी दी है।
उन्होंने अपनी एक्स पोस्ट में लिखा की पिछले कई दिनों से पार्टी में मेरा अपनाम हो रहा था। क्योंकि पिछले कई सालों से पार्टी के केंद्रीय समिति की बैठक नहीं हुई, इसलिए अपनी समस्या किससे बताता। बिना नाम लिए हेमंत पर निशाना साधते हुए चंपई सोरेन ने कहा कि एकतरफा आदेश पारित किए जाते हैं। उन्होंने कहा कि इस पार्टी में मेरी गिनती वरिष्ठ सदस्यों में होती है, बाकी लोग जूनियर हैं, और मुझ से सीनियर सुप्रीमो जो हैं, वे अब स्वास्थ्य की वजह से राजनीति में सक्रिय नहीं हैं, फिर मेरे पास क्या विकल्प था? अगर वे सक्रिय होते, तो शायद अलग हालात होते।
इस्तीफा लेने से पहले ही सभी कार्यक्रम कर दिए गए थे रद्द
झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन ने अपनी पोस्ट में लिखा कि हूल दिवस के अगले दिन, मुझे पता चला कि अगले दो दिनों के मेरे सभी कार्यक्रमों को पार्टी नेतृत्व द्वारा स्थगित करवा दिया गया है। इसमें एक सार्वजनिक कार्यक्रम दुमका में था, जबकि दूसरा कार्यक्रम पीजीटी शिक्षकों को नियुक्ति पत्र वितरण करने का था। पूछने पर पता चला कि गठबंधन द्वारा 3 जुलाई को विधायक दल की एक बैठक बुलाई गई है, तब तक आप सीएम के तौर पर किसी कार्यक्रम में नहीं जा सकते।
उन्होंने इस घटना को अपना अपमान बताते हुए कहा कि मुख्यमंत्री के कार्यक्रमों को कोई अन्य व्यक्ति रद्द करवा दे? अपमान का यह कड़वा घूंट पीने के बावजूद मैंने कहा कि नियुक्ति पत्र वितरण सुबह है, जबकि दोपहर में विधायक दल की बैठक होगी, तो वहां से होते हुए मैं उसमें शामिल हो जाऊंगा। लेकिन, उधर से साफ इंकार कर दिया गया।
4 दशकों में इतना बड़ा अपमान नहीं हुआ- चंपई
चंपई सोरेन ने पिछले 4 दशकों के राजनीतिक जीवन को याद करते हुए लिखा कि पिछले चार दशकों के अपने बेदाग राजनैतिक सफर में, मैं पहली बार, भीतर से टूट गया। समझ नहीं आ रहा था कि क्या करूं। दो दिन तक, चुपचाप बैठ कर आत्म-मंथन करता रहा, पूरे घटनाक्रम में अपनी गलती तलाशता रहा। सत्ता का लोभ रत्ती भर भी नहीं था, लेकिन आत्म-सम्मान पर लगी इस चोट को मैं किसे दिखाता? अपनों द्वारा दिए गए दर्द को कहां जाहिर करता?
उन्हें सिर्फ कुर्सी से मतलब था- चंपई
पार्टी में पिछले दिनों अपने साथ हुए अपमान का जिक्र करते हुए चंपई सोरेन ने कहा कि पिछले तीन दिनों से हो रहे अपमानजनक व्यवहार से भावुक होकर मैं आंसुओं को संभालने में लगा था, लेकिन उन्हें सिर्फ कुर्सी से मतलब था। मुझे ऐसा लगा, मानो उस पार्टी में मेरा कोई वजूद ही नहीं है, कोई अस्तित्व ही नहीं है, जिस पार्टी के लिए हम ने अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया। इस बीच कई ऐसी अपमानजनक घटनाएं हुईं, जिसका जिक्र फिलहाल नहीं करना चाहता। इतने अपमान एवं तिरस्कार के बाद मैं वैकल्पिक राह तलाशने हेतु मजबूर हो गया।
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अब सभी विकल्प खुले-चंपई
मैंने भारी मन से विधायक दल की उसी बैठक में कहा कि – “आज से मेरे जीवन का नया अध्याय शुरू होने जा रहा है।” इसमें मेरे पास तीन विकल्प थे। पहला, राजनीति से सन्यास लेना, दूसरा, अपना अलग संगठन खड़ा करना और तीसरा, इस राह में अगर कोई साथी मिले, तो उसके साथ आगे का सफर तय करना।उस दिन से लेकर आज तक, तथा आगामी झारखंड विधानसभा चुनावों तक, इस सफर में मेरे लिए सभी विकल्प खुले हुए हैं।