बेंगलुरु: कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की मुश्किलें बढ़ती हुई दिख रही हैं। राज्यपाल थावरचंद गहलोत ने एमयूडीए जमीन घोटाले में सीएम सिद्धारमैया के खिलाफ मामला चलाने की अनुमति दे दी है। भारतीय जनता पार्टी और राज्य में उसकी सहयोगी जनता दल (सेक्युलर) ने सिद्धारमैया के खिलाफ आरोप लगाया था कि उन्होंने अपने पद का गलत इस्तेमाल करते हुए एमयूडीए जमीन घोटाले में शामिल हैं। वहीं, सिद्धारमैया ने बार-बार इन आरोपों को निराधार बताया है।
क्या है MUDA जमीन घोटाला?
कांग्रेस नेता व कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की पत्नी पार्वती के पास मैसूर के केसारी गांव में तीन एकड़ जमीन थी। इस जमीन को मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण (MUDA) ने विकास के लिए अधिग्रहण कर लिया था। वहीं, इस जमीन के मुआवजे के तौर पर सिद्धारमैया की पत्नी को मैसूर के एक महंगे इलाके में जमीन दी गई थी। जिसके बाद से राज्य में प्रमुख विपक्षी दल भाजपा और उसकी सहयोगी पार्टी जेडीएस सिद्धारमैया के खिलाफ हमलावर है।
भाजपा जेडीएस का आरोप है कि सीएम सिद्धारमैया की पार्वती को आवंटित भूखंड की कीमत, MUDA द्वारा उनसे ली गई जमीन की तुलना में अधिक है। हालांकि, सिद्धारमैया इन आरोपों को खारिज करते रहे हैं। उन्होंने कहा था कि इस मामले में हमारा और हमारे परिवार का कोई लेना देना नहीं है।
उल्लेखनीय है कि अधिवक्ता टीजे अब्राहम के द्वारा दायर याचिका के आधार पर कर्नाटक के राज्यपाल थावरचंद गहलोत ने 26 जुलाई को सीएम सिद्धारमैया को कारण बताओ नोटिस जारी किया था। इसके बाद 1 अगस्त को कर्नाटक सरकार ने राज्यपाल से नोटिस वापस लेने को कहा था। कांग्रेस सरकार ने तब राज्यपाल पर संवैधानिक कार्यालय का दुरुपयोग करने का आरोप मढ़ा था।