Meerut News- बांग्लादेश में हिंदूओं पर हो रहे अत्याचार के खिलाफ मेरठ बंद का निर्णय लिया गया है। इस अभियान में व्यापारी, डॉक्टर, हिंदू और सामाजिक संगठनों के साथ बड़ी संख्या में आम लोग भी शामिल हो रहे हैं। बाजार, निजी प्रतिष्ठानों के साथ सभी डॉक्टर ने क्लीनिक बंद करने का निर्णय लिया है, हालांकि इमरजेंसी सेवाओं पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। हिंदूवादी संगठनों और व्यापारी नेताओं ने केंद्र सरकार से मांग की है, कि बांग्लादेश में हो रहे नर संहार में हस्तक्षेप करें।
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मेरठ बंदी को सभी का मिला समर्थन
व्यापारी नेताओं का कहना है, कि बांग्लादेश में हिंदुओं के साथ हिंसा की जा रही है। उनके घर, प्रतिष्ठान और मंदिरों में आग लगाई जा रही है। मां-बेटियों के साथ दुराचार किया जा रहा है। जिसको लेकर हिंदूओं में आक्रोश है। इसके खिलाफ आज शुक्रवार को मेरठ बंद का निर्णय लिया गया है। बता दें, कि हिंदुओं पर अत्याचार के खिलाफ यह ऐसी पहली पहली बंदी है, जिसमें सभी संगठन एक साथ आगे आकर अभियान चला रहे हैं। इस सांकेतिक बंद को संयुक्त व्यापार संघ के अलग-अलग गुटों का समर्थन भी मिल गया है। बंद को लेकर दावा किया जा रहा है, कि यह ऐतिहासिक होगा।
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पैदल मार्च निकाल कर करेंगे विरोध
गौरतलब है, कि डॉक्टरों के क्लीनिक के साथ ही पेट्रोल पंप, सर्राफा मंडी, शहर के विभिन्न बाजार, फल और सब्जी मंडियों के साथ विद्या भारती के स्कूल भी बंद रहेंगे। लोगों को इस अभियान से जोड़ने के लिए व्यापारी नेताओं ने अलग-अलग वाट्सएप ग्रुप बनाए हैं। सभी से बंद को सफल बनाने के लिए अपील की जा रही है। बता दें, कि बंद के आह्वान लेकर शहर में अलग-अलग स्थानों पर लोग एकत्र होंगे। सभी व्यापारी औऱ विभिन्न हिंदू संगठनों के लोग पैदल मार्च निकालेंगे। उसके बाद कमिश्नरी दफ्तर के सामने से गुजरकर कलेक्ट्रेट पहुंचकर बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे अत्याचार के विरोध में प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन दिया जाएगा।