Firozabad News- देश को अंग्रेजी हुकूमत से आजादी दिलाने के लिए फिरोजाबाद के स्वतंत्रता सेनानियों का भी बड़ा योगदान रहा है। यहां के स्वतंत्रता सेनानियों ने अंग्रेजी हुकूमत के छक्के छुड़ा दिए थे। बता दें, कि फिरोजाबाद से 9 किलोमीटर दूर स्थित हिरनगांव रेलवे स्टेशन अंग्रेजों के आने जाने का एक आसान मार्ग था। जिसको अगस्त महीने में फूंक दिया गया था। इस लड़ाई में महिलाओं ने भी सड़क पर उतरकर अंग्रेजी हुकूमत को दातों तले चने चबवा दिए थे।
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योजना बनाकर रेलवे स्टेशन को किया आग के हवाले
वयोवृद्ध वरिष्ठ पत्रकार के पी सिंह बताते हैं, कि देश में आज़ादी की लड़ाई के दौरान अंग्रेजी शासन के लोग यहां आकर जनता पर अत्याचार करते थे। अंग्रेजी हुकूमत यहां आकर हिंसा करती थी। इसके चलते स्वतन्त्रता सेनानियों ने अंग्रेजों को रोकने के लिए योजना बनाई और हिरनगांव रेलवे स्टेशन को आग के हवाले कर दिया था। आज भी यहां अंग्रेजों के शासनकाल के कुछ हिस्से मौजूद हैं।
50 स्वतन्त्रता सेनानी ने किया रेलवे स्टेशन को आग के हवाले
वरिष्ठ पत्रकार ने बताया, कि हिरनगांव रेलवे स्टेशन के पास एक गांव गुदाऊं है। जहां फिरोजाबाद के स्वतन्त्रता सेनानियों ने 16 अगस्त 1942 को मिलकर एक बैठक बुलाई। बैठक में निर्णय लिया गया, कि 17 अगस्त 1942 की सुबह रेलवे स्टेशन पर आग लगा दी जाएगी। इस घटना को अंजाम देने के लिए करीब 50 स्वतन्त्रता सेनानी रेलवे स्टेशन पहुंचे थे। स्टेशन को फूंकने में मुख्य भूमिका गंधर्व सिंह यादव, पंडित भूप शर्मा, मथुरा प्रसाद, राम स्वरूप और तेजपाल ने निभाई थी। आज यह रेलवे स्टेशन पास में ही टूंडला रेलवे स्टेशन के पास मौजूद है।
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घोड़ों से महिलाओं को कुचलवाया गया
वरिष्ठ पत्रकार के अनुसार, अंग्रेजी हुकूमत के अत्याचारों से परेशान फिरोजाबाद जिले में क्रांतिकारियों ने साल 1857 में आजादी का बिगुल बजा दिया था। अंग्रेजों को खदेड़ने के लिए महिलाएं भी सड़कों पर आ गई थीं और उनको दांतों तले चने चबा दिए थे। इस दौरान घोड़ों की टापों से महिलाओं को कुचलवाया गया। लक्ष्मीकांत शर्मा की पुत्री सुनीति शर्मा ने 14 साल की उम्र में आंदोलन छेड़ दिया था। प्रभात फेरियों को निकालने और महिलाओं को जोड़ने का इन्हीं को जिम्मा दिया गया था। भारत छोड़ो आंदोलन में हिरनगांव रेलवे स्टेशन को जलाने, डाक बंगले को जलाने में सक्रिय भूमिका अदा की थी। सविनय अवज्ञा आंदोलन में भी 6 महीने की सजा मिली थी।