फिरोजाबाद: 15 अगस्त 1947 को हमारा देश स्वतंत्रता हुआ। स्वाधीनता के इस महासंग्राम में लाखों क्रांतिकारियों ने भाग लिया। मां भारती की गुलामी की बेड़ियां को तोड़ने के लिए स्वतंत्रता सेनानी ने अपने जान की तक परवाह नहीं की। उनके योगदान को कभी भी विस्मृत नहीं किया जा सकता। इन्हीं स्वतंत्रता सेनानी में एक नाम था, फिरोजाबाद के कालीचरन का। उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम की लड़ाई में कई बार जेल की यात्रा की अनेकों यातनाएं सहीं लेकिन फिर भी अंग्रेज उनके हौसलों को पस्त नहीं कर पाए।
स्वतंत्रता संग्राम सेनानी कालीचरन गुप्ता अब इस दुनिया में नहीं हैं। लेकिन देश की सेवा में उनके द्वारा किए गए कार्य लोगों को हमेशा याद रहेंगे। कालीचरन गुप्ता ने अंग्रेजों को देश से खदेड़ने के लिए कई बार जेल की यात्रा की। फिर भी उनके मन और मस्तिष्क में सिर्फ एक ही विचार रहा, वह था देश की आजादी। वह 18 मार्च 1941 को व्यक्तिगत सत्याग्रह करते जेल गए थे। 8 अप्रैल 1941 को उन्हें 8 माह की कैद व 50 रुपये जुर्माने की सजा सुनाई गई। जुर्माना अदा न देने पर 4 माह की अतिरिक्त सजा भुगतनी पड़ी थी। भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान 17 सितंबर 1942 को वह गिरफ्तार हुए। वह 1946 तक जेल में कैद रहे।
अटलजी के साथ भी काटी जेल
स्वतंत्रता सेनानी के पुत्र सुरेश चंद्र गुप्ता एडवोकेट ने बताया कि उनके पिता कालीचरन आगरा सेंट्रल जेल में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के साथ भी रहे। इसके अलावा उन्होंने फतेहगढ़ जेल में कई साल बिताए थे। इनके अलावा और भी ऐसे क्रांतिकारी फिरोजाबाद में हुए जिन्होंने अंग्रेजों को भगाने के लिए सत्याग्रह शुरू किया और अंग्रेजी सेना के छक्के छुड़ा दिए। जिसे भुलाया नहीं जा सकता।