Allahabad News- इलाहाबाद हाईकोर्ट ने निर्वाचित महिला प्रधानों के कामकाज देखने वाले उनके पतियों को लेकर सख्त टिप्पणी की है। एक मामले की सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति सौरभ श्याम शमशेरी की कोर्ट ने कहा, कि महिला सशक्तिकरण का उद्देश्य विफल किया जा रहा है। कोर्ट ने प्रधानपति पर 50 रुपए का जुर्माना लगाया है। साथ ही चुनाव आयोग को निर्देश देते हुए कहा है, कि भविष्य में सभी प्रत्याशियों से इस आशय का हलफनामा ले, कि वह अपने कर्तव्यों का निर्वहन खुद करेंगी।
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प्रधानपति पर लगाया 50 हजार का जुर्माना
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने निर्वाचित महिला प्रधानों के कामकाज में उनके पतियों के हस्तक्षेप को लेकर नाराजगी जाहिर की है। कोर्ट ने कड़ी टिप्पणी करते हुए कहा, कि प्रधानपति महिला सशक्तिकरण के उद्देश्य को विफल कर रहे हैं। वह अपनी प्रधान पत्नियों का इस्तेमाल रबर स्टॉम्प की तरह कर रहे हैं। जबकि, उन्हें प्रधान के कार्यों में हस्तक्षेप का कोई अधिकार नहीं है। यह टिप्पणी न्यायमूर्ति सौरभ श्याम शमशेरी की कोर्ट ने प्रयागराज शंकरगढ़ के पहाड़ी कला गांव के प्रधानपति को लेकर की हैं। कोर्ट ने प्रधान पत्नी के कामकाज में अनाधिकृत हस्तक्षेप करने और अधिकारियों द्वारा जांच में दखल देने पर 50 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया है।
प्रधानपति धर्मेंद्र सिंह के खिलाफ दर्ज हुई थी एफआईआर
बता दें, कि अधिवक्ता प्रवीण कुमार सिंह ने प्रधान द्वारा मनरेगा के तहत कराए गए कार्यों की शिकायत जिलाधिकारी से की थी। साथ ही हाईकोर्ट में याचिका भी दाखिल की थी। इस मामले में कोर्ट से निर्देश मिलने के बाद डीएम में जांच कराई थी। जांच के दौरान प्रधान पति धर्मेंद्र सिंह और शिकायतकर्ता प्रवीण सिंह के बीच मारपीट हो गई। प्रवीण सिंह ने प्रधान पति धर्मेंद्र सिंह के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई, तो धर्मेंद्र सिंह ने भी प्रवीण सिंह के खिलाफ क्रास मुकदमा दर्ज करवा दिया।
चुनाव आयोग को दिए निर्देश
याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने कहा कि प्रधानपति शब्द उत्तर प्रदेश में बहुत व्यापक रूप से इस्तेमाल किया जाता है। एक अनाधिकृत प्राधिकारी होने के बावजूद प्रधानपति आम तौर पर एक महिला प्रधान यानी अपनी पत्नी का काम संभालता है। यह अनाधिकृत हस्तक्षेप महिला सशक्तिकरण के उद्देश्य और महिलाओं को विशिष्ट आरक्षण देने के उद्देश्य को विफल करता है। कोर्ट ने इस संस्कृति पर लगाम लगाने के लिए चुनाव आयोग को निर्देश किया है। कहा है, कि भविष्य में सभी प्रत्याशियों से इस आशय का हलफनामा ले, कि वह अपने कर्तव्यों का निर्वहन खुद करेंगी।