तोलोलिंग एलओसी के एकदम करीब है। यह क्षेत्र श्रीनगर लेह हाइवे से बिलकुल समीप है। कारगिल युद्ध के दौरान इस क्षेत्र पर पाकिस्तानी सेना ने छल पूर्वक कब्जा कर लिया था। तोलोलिंग की चोटी से पाकिस्तानी आर्मी श्रीनगर-लेह हाइवे से निकलने वाली भारतीय जवानों की गाड़ियों को लगातार निशाना बना रही थी। इसी के चलते इस चोटी पर फिर से भारत का कब्जा होना अति आवश्यक हो गया था। तोलोलिंग की चोटी पर 18 ग्रेनिडयर्स को तिरंगा फहराने को जिम्मेदारी मिली। 18 ग्रेनिडयर्स के जवान तोलोलिंग पर दुश्मनों को खदेड़ कर कब्जा करने के लिए चढ़ाई कर रहे थे। लेकिन, ऊंचाई का फायदा उठाकर पाकिस्तानी आर्मी भारतीय जवानों पर अंधाधुंध फायरिंग कर रही थी।
इस घटना में 18 ग्रेनिडयर्स के 25 जवान बलिदान हो गए। इन जवानों में मेजर राजेश अधिकारी भी शामिल थे। मेजर अधिकारी के बलिदान के बाद कर्नल खुशाल ठाकुर ने टुकड़ी की कमान संभाली। उनके साथ लेफ्टिनेंट कर्नल विश्वनाथन भी पहुंच गए। 2 और 3 जून को योजना बनाकर दुश्मन पर हमला किया गया। लेकिन, इसमें भी कुछ जवान बलिदान हो गए और सफलता नहीं मिली।
जिसके बाद तोलोलिंग पर दोबारा कब्जा हासिल करने की जिम्मेदारी 2 राजपूताना राइफल्स को दी गई। राजपूताना राइफल्स की कमान मेजर विवेक गुप्ता संभाल रह थे। उनके साथ 11 जवान ऐसे थे, सभी का सरनेम तोमर था। जिसमें हवलदार यशवीर सिंह तोमर भी थे। ऑपरेशन के दौरान मेजर विवेक गुप्ता बलिदान हो गए। लेकिन, इससे पहले उसने हवलदार यशवीर सिंह तोमर ने उनसे कहा था कि हम लोग तोलोलिंग चोटी पर जा रहे हैं। जाते समय यशवीर सिंह के आखिरी शब्द थे, ‘साहब 11 तोमर जा रहे हैं, और 11 जीतकर लौटेंगे।’
चूंकि, दुश्मन ऊंचाई पर थे, इसलिए उन पर गोलियों का कोई असर नहीं हो रहा था। लेकिन, भारतीय सैनिकों के अंदर तोलोलिंग पर तिरंगा फहराने की बैचेनी बढती जा रही थी। हवलदार यशवीर सिंह तोमर के मन में कुछ और ही चल रहा था। उन्होंने अपने और अन्य जवानों के पास मौजूद कुल 18 ग्रेनेड्स एकत्रित किए और दुश्मन के बंकरों पर दे मारे। इस घटना में पाकिस्तान के कई सैनिक मौत के घाट उतर गए, साथ हवलदार यशवीर भी बलिदान हो गए। हवलदार यशवीर की इस बहादुरी के चलते भारतीय सेना ने तोलोलिंग की चोटी पर एक बार फिर से तिरंगा फहरा दिया। कहा जाता है कि जब हवलदार यशवीर सिंह तोमर का शव मिला तो उनके एक हाथ में राइफल और दूसरे हाथ में ग्रेनेड था। यशवीर सिंह तोमर के इस पराक्रम, कर्तव्यनिष्ठा और देश सेवा के लिए उन्हें मरणोपरांत वीर चक्र से सम्मानित किया गया।
हवलदार यशवीर सिंह तोमर का जन्म
हवलदार यशवीर सिंह तोमर का जन्म उत्तर प्रदेश के बागपत जिले के सिरसली गांव में 4 जनवरी 1960 को हुआ था। उनके पिता का नाम गिरवर सिंह तोमर था। यशवीर सिंह प्रारंभिक शिक्षा पूर्ण करने के बाद सेना में शामिल हो गए थे। साथ ही यशवीर सिंह के एक छोटे भाई हरबीर सिंह भी सेना में थे। यशवीर सिंह को राजपूताना राइफल्स रेजिमेंट की 2 राज रिफ बटालियन में कमीशन मिला था। यह रेजिमेंट अपने पराक्रमी सैनिकों और कई युद्ध सम्मानों के लिए जानी जाती है।
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