उत्तर प्रदेश के पुलिस महानिदेशक (DGP) प्रशांत कुमार ने भीड़ प्रबंधन और भगदड़ से बचाव के लिए OSOP (मानक संचालन प्रक्रिया) जारी की है। OSOP के तहत अब उत्तर प्रदेश में जिला, रेंज और जोन स्तर पर अलग-अलग इंटिग्रेटेड सिस्टम बनेगी। जिलाधिकारी, सीएमओ, सिविल डिफेंस, फायर बिग्रेड और स्थानीय पुलिस के स्तर पर नियमित रूप से इंटिग्रेटेड सिस्टम को अपडेट किया जाएगा। हाथरस में सत्संग भगदड़ जैसी घटना दोबारा न हो, इसका प्रयास किया जाएगा।
DGP ने कहा कि कार्यक्रमों की परमिशन देने वाले अधिकारी और स्थानीय पुलिस पहले से चेक करें, कि कार्यक्रम स्थल पर कोई खतरा तो नहीं है। वहां लोगों का आवागमन सुरक्षित है अथवा नहीं। संभावित खतरों (आग, बिजली, सड़क दुर्घटना और श्वास अवरोधक) के आकलन के आधार पर आपातकालीन योजनाएं तैयार कर सभी विभागों से समन्वय बनाया जाए। कार्यक्रम की पूरी जानकारी और वहां आने वालों की अनुमानित संख्या की जानकारी भी जुटाई जाए।
DGP प्रशांत कुमार ने कहा कि सुरक्षा और ट्रैफिक के लिए जरूरी पुलिस, पीएसी, केंद्रीय बल, अधिकारियों और संसाधनों का मांग पत्र तैयार किया जाए साथ ही मजबूत बैरिकेडिंग की जाए। कार्यक्रम स्थलों पर CCTV के जरिए मॉनिटरिंग की जाए और ऑपरेशनल कंट्रोल रूम बनाए जाएं। कार्यक्रम के प्रबंधन के लिए राजपत्रित अधिकारी (स्थानीय मैजिस्ट्रेट) को प्रभारी नियुक्ति किया जाए। ड्यूटी पर लगाए जाने वाले फोर्स की समुचित ब्रीफिंग की जाए।
उन्होंने कहा कि पब्लिक एड्रेस सिस्टम के साथ अग्निशमन की पर्याप्त व्यवस्था की जाए। अफवाह फैलाने वाले असामाजिक तत्वों पर कड़ी नजर रखी जाए। कार्यक्रम स्थल पर लाइट, पीने का पानी और ऐंबुलेंस का इंतजाम किया जाए। क्राउड कंट्रोल प्लान के तहत आवागमन और पार्किंग का इंतजाम किया जाए। अतिथियों की श्रेणी तय कर उसी हिसाब से उनके आवागमन के मार्गों को अलग रखा जाए और जनता के लिए आवागमन के मार्ग अलग हों। जरूरत का आकलन करते हुए स्थानीय फील्ड यूनिट, फायर बिग्रेड, बीडीएस टीम, फ्लड यूनिट और SDRF की भी मदद ली जाए।
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