नई दिल्ली: NEET पेपर लीक मामले में मंगलवार को सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया है। चीफ जस्टिस ने कहा कि दलीलें सुनी जा चुकी हैं और फैसला सुरक्षित रख लिया गया है। मंगलवार को सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस ने Re NEET यानी दोबारा परीक्षा कराने का आदेश देने से इनकार कर दिया है। उन्होंने रीएग्जाम के लिए ठोस सबूत की आवश्यकता पर जोर दिया। चीफ जस्टिस ने स्पष्ट किया कि पेपर लीक के ठोस सबूतों के बिना रीएग्जाम का फैसला नहीं किया जा सकता। उन्होंने कहा कि “CBI जांच के बाद पूरी तस्वीर बदल सकती है।
चीफ जस्टिस ने कहा फिलहाल, हम दागी स्टूडेंट्स को बेदागी स्टूडेंट्स से अलग कर सकते हैं। अगर जांच के दौरान दागियों की पहचान होती है तो उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। अगर कोई स्टूडेंट्स इस फ्रॉड में शामिल पाया जाता है तो उसे एडमिशन नहीं मिलेगा। कोर्ट ने अभी अपना फैसला सुरक्षित रखा है सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस ने कहा कि IIT दिल्ली के प्रोफेसरों की कमेटी ने जो रिपोर्ट दी है, उसके मुताबिक जिस सवाल के दो जवाब सही माने गए थे, उसका ऑप्शन 4 को सही माना है। जवाब 2 गलत है।
इस दौरान वकील नरेंद्र हुड्डा ने दलील दी अगर पेपर लीक होने से 1000 लोगों को भी फायदा हुआ है, तो भी रीएग्जाम होना चाहिए। अगर हम NEET को पेशेंट मान लें, तो उसे मल्टी ऑर्गन फेलियर हुआ और उसमें जान नहीं बची है। बहस के दौरान याचिकाकर्ताओं के वकील मैथ्यूज नेदुम्पारा ने अपनी बात रखने की कोशिश की, लेकिन चीफ जस्टिस ने उन्हें वकील नरेंद्र हुड्डा के बाद बोलने को कहा।
सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस हुए नाराज
वकील मैथ्यूज नेदुम्पारा गैलरी में जाने लगे तभी चीफ जस्टिस नाराज हो गए और कहा, मैं पिछले 24 साल से न्याय व्यवस्था देख रहा हूं। कोर्ट में वकील इस तरह पेश नहीं आते। “आप इस तरह उठकर गैलरी में नहीं जा सकते। कोई सिक्योरिटी को बुलाओ।” इसके बाद एडवोकेट मैथ्यूज कोर्ट रूम छोड़कर चले गए। लेकिन थोड़ी देर बाद वे वापस आए और चीफ जस्टिस से माफी मांगी।
याचिकाकर्ताओं की ओर से वकील नरेंद्र हुड्डा, संजय हेगड़े, और मैथ्यूज नेदुम्पारा ने बहस की, जबकि NTA की ओर से सोलिस्टर जनरल तुषार मेहता ने मामले की पैरवी की। सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई जारी रखते हुए स्पष्ट किया कि ठोस सबूतों के बिना किसी भी निर्णय पर पहुंचना मुश्किल है, और CBI जांच के निष्कर्षों का इंतजार करना उचित होगा।