लखनऊ: राजधानी लखनऊ के बहुचर्चित CMS स्कूल प्रशासन पर गंभीर आरोप लगे हैं। संस्था के पूर्व शिक्षक कुलदीप तिवारी ने आरोप लगाया है कि उन्होंने अवैध मस्जिद-मजारों को ध्वस्त करने के लिए याचिका लगाई थी। जिसके बाद कॉलेज प्रशासन द्वारा बार-बार उन पर याचिका वापस लेने का दबाव बनाया जा रहा था। जब उन्होंने बात नहीं मानी तो उन्हें नौकरी से निकाल दिया गया। पीड़ित कुलदीप तिवारी ने बताया कि वह सीएमएस के राजेन्द्रनगर प्रथम शाखा में बतौर गणित शिक्षक के रूप में कार्य कर रहे थे।
जन उद्घोष सेवा संस्थान में काम करते हैं कुलदीप तिवारी
पीड़ित शिक्षक कुलदीप तिवारी ने बताया कि वह अध्यापन कार्य के साथ-साथ जन उद्घोष सेवा संस्थान के माध्यम से सामाजिक कार्य करते हैं। इसी संस्था के माध्यम से उन्होंने काशी की ज्ञानवापी मस्जिद, मथुरा श्री कृष्ण जन्मभूमि और मध्य प्रदेश के भोजशाला प्रकरण के प्रमुख वादी रहे। साथ ही उन्होंने अवैध-मस्जिद मजारों को ध्वस्त करने व मुस्लिम बहुविवाह प्रथा के विरुद्ध याचिका दाखिल की है। हिन्दुस्थान समाचार की रिपोर्ट के अनुसार, स्कूल प्रशासन ने उनसे सभी याचिकाओं को वापस लेने का दबाव डाला था। शिक्षक ने बताया कि उनसे कहा गया था कि आप याचिका वापस लो या नौकरी छोड़ो। पीड़ित शिक्षक ने बताया कि जब उसने बात नहीं मानी तो उसे नौकरी से निकाल दिया गया। वहीं, इस मामले पर सिटी मांटेसरी स्कूल की प्रधानाचार्य जयश्री ने कुछ भी बोलने से मना कर दिया है।
अदिपुरुष फिल्म के खिलाफ HC में की थी अपील
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, शिक्षक कुलदीप तिवारी ने ही रामायण को गलत तरीके से प्रस्तुत करने वाली फिल्म अदिपुरुष के खिलाफ इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ खंडपीठ में याचिका लगाई थी, जिस पर फिल्म मेकर्स और सेंसर बोर्ड को फटकार पड़ी थी। उन्होंने अवैध मस्जिद व मजारों को ध्वस्त किए जाने को लेकर भी याचिका दाखिल की थी।
CMS पर इस्लाम को बढ़ावा देने का आरोप
हिन्दुस्थान समाचार के अनुसार, सीएमएस एक बहाई पंथ को मानने वाली संस्था है। वर्ष 1974 में इसके संस्थापक जगदीश अग्रवाल (बाद में गांधी नाम रख लिया) ने परिवार सहित बहाई पंथ अपनाया था। सीएमएस में टीचर्स और कर्मचारियों को लालच और दबाव देकर बहाई बनाया जाता है, अनेकों कर्मचारी असल में बहाई बन चुके हैं। विद्यालय के सूत्रों के मुताबिक विद्यालय में बच्चों को नैतिक शिक्षा के नाम पर बहाई शिक्षा की तरफ मोटिवेट किया जाता है। सीएमएस के सभी विद्यालयों में रमजान में हर ब्रांच में रोजा इफ्तार पार्टी कराई जाती है। हिंदू टीचर्स और कर्मचारी निकाल कर धीरे-धीरे मुस्लिम भरे जा रहे हैं। बच्चों की फीस माफी के नाम पर बहुतायत में सिर्फ मुस्लिमों की ही फीस माफ की जाती है।
इनपुट- हिंदुस्थान समाचार