Varanasi News- काशी नगरी में गुरु पूर्णिमा पर्व को श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाने की तैयारी की जा रही है। आज शनिवार को मठ, मंदिरों, आश्रमों के साथ गुरु घरानों में साफ-सफाई और सजावट को अंतिम रूप दिया गया। गुरु वंदन के लिए श्रद्धालु एक दिन पहले से ही पहुंचने लगे हैं और भजन कीर्तन से पहले स्वच्छता अभियान चलाया जा रहा है।
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महाभारत के रचयिता वेद व्यास का हुआ था जन्म
गुरु पूर्णिमा पर्व आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है। इस बार रविवार यानि 21 जुलाई को पर्व मनाया जाएगा। बताते चलें, कि पूर्णिमा तिथि 20 जुलाई शनिवार की शाम 6 बजे से शुरु होकर 21 जुलाई की 3 बजकर 47 मिनट तक रहेगी। ऐसे में 21 जुलाई को ही गुरु पूर्णिमा पर्व मनाया जाएगा। लगभग 3000 ई पूर्व आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष पर पूर्णिमा के दिन महाभारत के रचयिता वेद व्यास का जन्म हुआ था। वेद व्यास जी के सम्मान में हर वर्ष आषाढ़ शुक्ल पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा पर्व मनाया जाता है।
सनातनी भारतीय संस्कृति में गुरु का सर्वोच्च स्थान
मान्यता है कि इसी दिन वेद व्यास ने भागवत पुराण का ज्ञान भी दिया था। गुरु पूर्णिमा को व्यास पूर्णिमा नाम से भी जाना जाता है। सनातन संस्था के गुरुराज प्रभु ने बताया कि इस दिन गुरुतत्व अन्य दिनों की तुलना में 100 गुना अधिक कार्यरत रहता है। ऐसे में सभी साधकों और आम लोगों को भी आध्यात्मिक उन्नति के लिए अपने गुरु का आर्शिवाद लेना चाहिए। शंकराचार्य स्वामी नरेन्द्रानंद सरस्वती ने बताया, कि सनातनी भारतीय संस्कृति में गुरु को सर्वोच्च स्थान दिया गया है। उन्होंने बताया, कि उनके बिना ज्ञान की प्राप्ति असंभव मानी गई है। सनातन धर्म में गुरु और ईश्वर दोनों को एक समान माना गया है, तो वहीं वेदों में भी गुरु को ब्रह्मा, विष्णु और महेश का स्वरूप बताया गया है।
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गुरु के आशीर्वाद से जीवन सार्थक होता है
उन्होंने बताया, कि गुरु ब्रह्मा, गुरू विष्णु और गुरु देवो महेश्वरा सभी भगवान शंकर है। हम सभी को अपने गुरुओं के प्रति कृतज्ञता और सम्मान व्यक्त करना चाहिए। साथ ही उनके बताए मार्ग पर चलने का संकल्प लेना चाहिए। उनके आशीर्वाद से ही हमारा जीवन सार्थक और सफल होगा।