नोएडा- नोएडा पुलिस की साइबर क्राइम यूनिट ने एक बड़े ऑपरेशन में ‘डिजिटल अरेस्ट’ जैसे संगीन अपराधों में लिप्त एक गिरोह का भंडाफोड़ किया है। इस गैंग पर नशीले पदार्थों की तस्करी, अवैध पासपोर्ट बनाने और मनी लॉन्ड्रिंग समेत अन्य धोखाधड़ी गतिविधियों में शामिल होने का आरोप है। पुलिस ने इस मामले में 6 आरोपियों को राजस्थान के सीकर जनपद के लोसल इलाके से गिरफ्तार किया है। बता दें कि डिजिटल अरेस्ट, एक नई और खतरनाक साइबर अपराध की रणनीति है, जिसमें अपराधी पीड़ितों को उनके घरों में सीमित कर देते हैं साथ ही उन्हें डराने के लिए ऑडियो या वीडियो कॉल का सहारा लेते हैं।
अपराधी अक्सर AI-जनरेटेड आवाज या वीडियो का उपयोग कर खुद को सरकारी अधिकारी के रूप में पेश करते हैं और पीड़ितों को डराने के लिए फर्जी ID भेजते हैं। गिरफ्तार किए गए व्यक्तियों की पहचान किशन, लाखन, महेंद्र, संजय शर्मा, प्रवीण जगिंड और शंभू दयाल के रूप में हुई है। ये सभी आरोपी राजस्थान के रहने वाले हैं। इनके अपराध का नेटवर्क विभिन्न राज्यों में फैला हुआ है। पुलिस के अनुसार, इस गैंग की गतिविधियों का पता केरल, तमिलनाडु, तेलंगाना, महाराष्ट्र, पंजाब और अन्य कई राज्यों में दर्ज 73 शिकायतों से लगाया गया है। मई में इस गिरोह ने एक शिकायतकर्ता से 52.50 लाख रुपए ठग लिए।
अपराधियों ने उसे यह विश्वास दिलाया कि उसकी पहचान का इस्तेमाल विदेश में अवैध ड्रग्स, पासपोर्ट और क्रेडिट कार्ड वाले पार्सल भेजने के लिए किया जा रहा है। उन्होंने खुद को मुंबई अपराध शाखा और अन्य एजेंसियों के अधिकारियों के रूप में पेश किया। साथ ही मनी लॉन्ड्रिंग की जांच करने का दावा किया। 3 असिस्टेंट पुलिस कमिश्नर (साइबर) विवेक रंजन राय ने बताया कि यह गैंग भोले-भाले लोगों को ‘डिजिटल तरीके से गिरफ्तार’ कर उन्हें डराकर यह विश्वास दिलाते हैं कि वे अंतरराष्ट्रीय आपराधिक गतिविधियों में शामिल हैं। पुलिस ने बताया, कि संदिग्ध खाताधारकों को बताते थे कि उनके अवैध सामान वाले पार्सल मुंबई में सीमा शुल्क विभाग द्वारा पकड़े गए थे, और जांच गोपनीय थी, जिससे वे किसी के साथ इस बारे में चर्चा करने से डरते थे।
अधिकारियों ने आगे बताया कि संदिग्धों ने पीड़ितों के पैसे को धोखाधड़ी वाले खातों में ट्रांसफर कर दिए जिसके बाद इसे नकद में निकाल कर आपस में बांट लिए। उन्होंने बैकग्राउंड में पुलिस सायरन भी बजाया और ‘डिजिटल गिरफ्तारी’ को वास्तविक दिखाने के लिए फर्जी ID भेजी। इस मामले में जांच जारी है। अन्य राज्यों में संबंधित अधिकारियों को भी सूचित किया जा रहा है। पुलिस का मानना है कि इस गैंग के पकड़ने से साइबर अपराध की दुनिया में एक बड़ी सफलता मिली है।
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