नेपाल के पूर्व प्रधानमंत्री के पी शर्मा ओली ने नई सरकार बनाने का दावा पेश किया है। पुष्प कमल दहल ‘प्रचंड’ के संसद में विश्वास मत हारने के बाद ओली ने राष्ट्रपति के सामने 166 सांसदों के समर्थन का दावा किया है। इनमें उनकी खुद की पार्टी यूएमएल के 78 और नेपाली कांग्रेस के 88 सांसद शामिल हैं।
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विश्वास मत हारे थे प्रचंड
दरअसल, इस महीने की शुरुआत में के पी शर्मा ओली की पार्टी CPN-UML ने प्रधानमंत्री प्रचंड की कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ नेपाल से गठबंधन तोड़ लिया था। इसके बाद उनकी सरकार अल्पमत में आ गई थी। नेपाल के संविधान के आर्टिकल 100 (2) के तहत उन्हें एक महीने में बहुमत साबित करना था। वे ऐसा नहीं कर पाए।
पुष्प कमल दहल प्रचंड को संसद में विश्वास मत में हार का सामना करना पड़ा था। सत्ता बनाए रखने के लिए 275 सदस्यीय सदन में दहल को कम से कम 138 वोटों की जरूरत थी, लेकिन मौजूदा 258 सांसदों में से सिर्फ 63 ने ही उनके पक्ष में वोट किया, जबकि 194 सांसदों ने उनके खिलाफ मतदान किया और 1 ने मतदान में हिस्सा ही नहीं लिया।
कौन हैं राम को नेपाल का बताने वाले ओली ?
के पी शर्मा ओली ने 2020 में एक ऐसा बयान दिया था, जिससे हर कोई हैरान रह गया था। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार ओली ने एक कार्यक्रम में बोलते हुए कहा था कि ‘भगवान राम नेपाल के थे। असली अयोध्या नेपाल के बीरगंज में है।’
भारत पर क्या पड़ सकता है प्रभाव ?
इस बार अगर के पी शर्मा ओली की सरकार बनी तो इसमें नेपाली कांग्रेस भी शामिल है। इस पार्टी का संबंध भारत से अच्छा रहा है। नेपाली कांग्रेस डिप्लोमेसी के जरिए समस्या का समाधान ढूंढने पर जोर देती है। ऐसे में बनने वाली नई सरकार भारत के साथ रिश्ते में अधिक बदलाव कर पाएगी, इसकी संभावना बेहद कम है।