लखनऊ: हरियाणा में 2024 के अंत तक विधानसभा चुनाव होने हैं। राज्य की 90 सीटों में से 46 सीटें जीतने वाला दल सरकार बनाएगा। ऐसे में जोड़तोड़ की राजनीति जारी है। हरियाणा में जाट आबादी करीब 22 प्रतिशत है। वहीं, दलित मतदाताओं की संख्या 2O फीसदी के करीब है। अब दलित और जाट मतदाताओं को साधने के लिए राज्य में इनेलो और बसपा का गठबंधन हुआ है। बसपा सुप्रीमो मायावती ने एक्स पर पोस्ट करने दोनों दलों के बीच गठबंधन होने की पुष्टि की है, साथ ही भाजपा और कांग्रेस पर निशाना साधा है।
मायावती ने भाजपा और कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) द्वारा हरियाणा की प्रमुख पार्टी इण्डियन नेशनल लोकदल (इनेलो) के साथ गठबंधन का उद्देश्य भाजपा/एनडीए तथा कांग्रेस व इनके इण्डी गठबंधन को आगामी विधानसभा चुनाव में हराकर राज्य के इनसे दूखी लोगों व किसानों आदि को इन जनविरोधी पार्टियों से बचाया जा सके।
3.बीएसपी-इनेलो गठबंधन को लोग तीसरे मोर्चे के रूप में स्वीकार कर रहे हैं क्योंकि भाजपा व कांग्रेस का जातिवादी, साम्प्रदायिक, आरक्षण व संविधान-विरोधी चाल-चरित्र-चेहरे को लोगों ने देख लिया है तथा अब वे चौधरी देवीलाल व मान्यवर श्री कांशीराम जी का मानवतावादी सपना साकार करना चाहते हैं।
— Mayawati (@Mayawati) July 12, 2024
बसपा सुप्रीमों में आगे लिखा कि स्पष्ट है कि भाजपा व कांग्रेस तथा इन दोनों जातिवादी पार्टियों के नेतृत्व वाले इण्डी व एनडीए गठबंधनों से दूर रहकर बीएसपी एवं इनेलो ने हरियाणा में सर्वसमाज के सामाजिक समरसता व इनके बीच आपसी गठबंधन को महत्व दिया है ताकि हरियाणा आगे बेहतर तरीके से फल-फूल सके।
मायावती ने बसपा और इनेलो गठबंधन को तीसरा मोर्चा बताते हुए कहा कि बीएसपी-इनेलो गठबंधन को लोग तीसरे मोर्चे के रूप में स्वीकार कर रहे हैं। क्योंकि भाजपा व कांग्रेस का जातिवादी, साम्प्रदायिक, आरक्षण व संविधान-विरोधी चाल-चरित्र-चेहरे को लोगों ने देख लिया है। अब वे चौधरी देवीलाल व मान्यवर श्री कांशीराम जी का मानवतावादी सपना साकार करना चाहते हैं।
यह भी पढ़ें: ‘भस्मासुर हैं अखिलेश यादव’ हमारी पार्टी को खत्म करने के लिए किया था गठबंधन: अरविंद राजभर
उल्लेखनीय है कि इन दिनों बसपा उत्तर प्रदेश में व इनेलो हरियाणा में अपना अस्तित्व बचाने के लिए लड़ाई लड़ रही है। 2019 के विधानसभा चुनाव में बसपा को हरियाणा में 4.14 प्रतिशत वहीं, इनेलो को 2.44 प्रतिशत वोट मिले थे। हालांकि 2024 के विधानसभा के समीकरण अब अलग ही हैं। बसपा-इनेलो गठबंधन से भाजपा और कांग्रेस नेतृत्व वाले विपक्षी गठबंधन की टेंशन बढना स्वाभाविक हैं। अब ऐसे में निर्णायक दलित वोट को बैंक अपने पाले में लाने के लिए कवायद तेज हो गई है।