अयोध्या- अयोध्या पुलिस को इलाहाबाद हाई कोर्ट के आदेश की अवहेलना करना भारी पड़ रहा है। कोर्ट ने पुलिस की हरकतों पर कड़ा रुख अपनाते हुए स्पष्ट किया है कि मुस्लिम युवती और हिंदू युवक के शांतिपूर्ण जीवन में पुलिस ने बाधा उत्पन्न की है। इस विवाद की शुरुआत तब हुई जब पुलिस ने कोर्ट के आदेश के विपरीत जाकर युवती को उसके पिता के हवाले कर दिया। लखनऊ पीठ के जस्टिस राजीव सिंह ने इस मामले पर गंभीरता से विचार करते हुए, पूरा कलंदर थाने के SHO रमा शंकर सरोज को व्यक्तिगत रूप से 9 जुलाई को तलब किया है।
हिंदू युवक ने अपनी याचिका में कहा कि उसकी प्रेमिका मुस्लिम है। प्रेमिका के पिता दोनों के संबंधों का विरोध करते हैं। दोनों ने हाई कोर्ट में सुरक्षा की मांग करते हुए रिट याचिका दाखिल की थी। कोर्ट ने 5 मार्च, 2024 को पुलिस को उनके शांतिपूर्ण जीवन में हस्तक्षेप न करने का आदेश दिया था। युवक का आरोप है कि कोर्ट के आदेश के बावजूद पुलिस ने जबरन प्रेमिका को उसके पिता को सौंप दिया है। हाई कोर्ट ने युवती को कोर्ट में उपस्थित होने के लिए कहा था, जहां उसने अपने प्रेमी के साथ रहने की इच्छा व्यक्त की। पुलिस ने कोर्ट को बताया कि युवती के पिता ने बेटी को वापस लाने की शिकायत की थी।
प्रेमी का आरोप है कि 22 अप्रैल को पुलिस ने उनके घर आकर जबरन युवती को पिता को सौंप दिया, जो CCTV फुटेज से साबित हो सकता है। हाई कोर्ट ने इस घटना को गंभीरता से लेते हुए SHO रमा शंकर सरोज को व्यक्तिगत रूप से 9 जुलाई को व्यक्तिगत रूप से अदालत में उपस्थित होने का आदेश दिया है। कोर्ट का यह कदम पुलिस की कार्यशैली पर सवाल खड़ा करता है और यह एक मिसाल के रूप में देखा जा रहा है जहां कोर्ट ने व्यक्तिगत स्वतंत्रता और शांतिपूर्ण जीवन के अधिकार की सुरक्षा पर जोर दिया है।
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